वर्ष 2022 का दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को
भारतीय सिनेमा में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने इस घोषणा के साथ फिल्म उद्योग में उनकी अभूतपूर्व सेवाओं की सराहना की। यह पुरस्कार 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में 8 अक्टूबर 2024 को प्रदान किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने बधाई दी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर आज बधाई दी। अभिनेता की प्रशंसा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि मिथुन दा एक सांस्कृतिक प्रतिभा के प्रतीक हैं और उन्हें अपने बहुमुखी अभिनय के लिए पीढ़ियों से सराहा जाता रहा है।
मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी सफर
मिथुन चक्रवर्ती, जिन्हें फिल्म प्रेमी 'मिथुन दा' के नाम से जानते हैं, ने अपनी फिल्मों में बहुमुखी भूमिकाएं निभाकर दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। 16 जून 1950 को कोलकाता में जन्मे गौरांग चक्रवर्ती ने अपनी पहली फिल्म "मृगया" (1976) से ही सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। उनके फिल्मी सफर की शुरुआत एक अभिनेता से हुई और देखते ही देखते उन्होंने प्रोड्यूसर और राजनीतिज्ञ के रूप में भी पहचान बनाई।
1982 में रिलीज़ हुई फिल्म डिस्को डांसर मिथुन के करियर में मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म ने उन्हें सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक सुपरस्टार बना दिया। डिस्को डांसर में उनके करिश्माई नृत्य और एक्टिंग ने उन्हें एक सांस्कृतिक आइकन बना दिया। इसके अलावा 1990 में फिल्म अग्निपथ में उनके यादगार अभिनय ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया।
उनका योगदान न सिर्फ हिंदी सिनेमा में बल्कि बंगाली, उड़िया, भोजपुरी और तेलुगु फिल्मों में भी उल्लेखनीय है। उन्होंने अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया है, जिसमें ताहादेर कथा (1992) और स्वामी विवेकानंद (1998) जैसी फिल्मों के लिए उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीते हैं।
मिथुन का राजनीतिक और सामाजिक जीवन
फिल्मों से इतर मिथुन चक्रवर्ती ने समाज सेवा और राजनीति में भी गहरी रुचि ली। उन्होंने विभिन्न सामाजिक कार्यों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों के उत्थान के लिए काम किया। इसके अलावा, वह संसद सदस्य के रूप में भी जनता की सेवा में लगे रहे। मिथुन की यह दोहरी विरासत, एक अभिनेता और समाजसेवी के रूप में, उन्हें एक संपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करती है।
उनके सामाजिक कार्यों और सेवा भावना के लिए हाल ही में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया, जो उनके समर्पण और योगदान का प्रतीक है। वह भारतीय सिनेमा के उन अभिनेताओं में से हैं जिन्होंने अपनी कला के जरिए न केवल मनोरंजन किया बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरित भी किया।
सम्मान और पुरस्कार
तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – "मृगया" (1976), "ताहादेर कथा" (1992), और "स्वामी विवेकानंद" (1998) के लिए।
फिल्मफेयर पुरस्कार – "अग्निपथ" (1990) में उनके दमदार अभिनय के लिए।
पद्म भूषण – भारतीय सिनेमा में उनके योगदान और सामाजिक कार्यों के लिए।
विभिन्न फिल्म पुरस्कारों के साथ-साथ, उन्हें उनके योगदान के लिए सिनेमा और समाज में व्यापक प्रशंसा मिली है।
मिथुन दा की अद्भुत यात्रा न सिर्फ एक सफल अभिनेता के रूप में, बल्कि एक प्रेरणादायक सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक नेता के रूप में भी दर्ज की जाएगी।