"निजीकरण विरोधी दिवस" मनाकर देशभर के बिजलीकर्मियों ने दिखाई एकजुटता

उप्र और चंडीगढ़ में निजीकरण का मामला

Uttar Pradesh Electricity Privatization

नई दिल्ली - विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने आज निजीकरण विरोधी दिवस मनाया और कार्यालय समय के उपरांत  समस्त जनपदों , परियोजनाओं  एवं राजधानी लखनऊ में सभा की। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि  पावर कार्पोरेशन प्रबंधन कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है और भय का वातावरण बनाकर  ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण  बना रहा है । संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि प्रबंधन बिडिंग प्रक्रिया शुरू करने के पहले आर एफ पी डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी करे तो निजीकरण के खतरों का अपने आप खुलासा हो जाएगा।

बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय  समिति (एनसीसीओ ई ई ई) ने चेतावनी दी है कि उप्र में निजीकरण के बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी होते ही देश भर में लाखों बिजली कर्मी सड़क पर उतरने को विवश होंगे। एन सी सी ओ ई ई ई ने निजीकरण को बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी।

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उप्र और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में मुम्बई, कोलकाता,चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, गुवाहाटी, नागपुर, रायपुर, जबलपुर, भोपाल, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, देहरादून, चंडीगढ़, पटियाला, रांची, आदि स्थानों पर बड़े प्रदर्शन हुए। उप्र की राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों एवं परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की गई।

संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारी और अभियंता माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में बिजली व्यवस्था के सुधार में लगातार लगे हुए हैं और 15 दिसंबर से शुरू होने वाली ओ टी एस स्कीम को सफल बनाने में लगे हैं किंतु पता नहीं क्यों पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने अचानक प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा कर बिजली कर्मियों को उद्वेलित कर दिया है और अनावश्यक रूप से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है । बिजली कर्मी अभी भी पूरी मेहनत से कार्य कर रहे हैं और निजीकरण के विरोध में  सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम कार्यालय समय के उपरांत कर रहे हैं जिससे बिजली व्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े और उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत ना हो।

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संघर्ष समिति ने कहा कि आगरा के निजीकरण के पहले जारी किए गए आर एफ पी डॉक्यूमेंट में ए टी एंड सी हानियां बहुत अधिक बढ़ाकर बताई गई थी जो फर्जी थी। इसी गलत डॉक्यूमेंट के चलते पॉवर कारपोरेशन को टोरेंट को बिजली देने मे ही 2434 करोड़ रु की चपत अब तक लग चुकी है। इस बार भी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए बिना पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों की अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश है। बिडिंग के पहले यदि आर एफ पी डॉक्यूमेंट जारी किया जाए तो पूरा घोटाला सामने आ जाएगा।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की  अरबों रुपए की बेशक कीमती जमीन  किस आधार पर मात्र एक रुपए में निजी घरानों  को सौंप दी जाएंगी। यह जनता की  परिसंपत्ति है। इन सब बातों से बिजली कर्मचारी और उपभोक्ता बहुत अधिक परेशान और उद्वेलित है। 

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ये रहे मौजूद

राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह । 

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