आसान नहीं होगा आईएएस प्रबंधन के लिए बिजलीकर्मियों का विकल्प ढूँढना

13 दिसंबर को निजीकरण विरोधी दिवस,अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति का वातावरण उत्पन्न किया जा रहा

Uttar Pradesh Electricity Privatization

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विधुत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर बिजलीकर्मियों का आक्रोश बढ़ते जा रहा है। पॉवर कार्पोरेशन का आईएएस प्रबंधन पूरी तरह से बिजलीकर्मियों के निशाने पर आ गया है।बिजली विभाग के अत्यंत तकनीकीपूर्ण विभाग होने के कारण तमाम सरकारी मोर्चेबंदी के बावजजूद प्रशासन के लिए चिंता बढ़ने लगी है। विधुत उपकेंद्रों पर भेजे जा रहे पुलिस सहित अन्य सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों की हालत हास्यास्पद होते जा रही है। विधुत उपकेंद्रों पर लगे अत्याधिक आधुनिक पैनलों को ही देखकरर दूसरे विभागों के कर्मी घबरा जा रहे हैं। ऐसे कर्मचारियों के भरोसे संभावित हड़ताल में वैकल्पिक व्यवस्था करना आईएएस प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है। 

यही नहीं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने कई आकड़े प्रस्तुत कर बौद्धिक स्तर पर भी प्रबंधन के दावे को तगड़ी चोट पहुंचाई है। देश के सबसे बड़े दो डिस्कॉम को जिस हलके तरीके से आईएएस प्रबंधन ने निजी हाथों में सौंपने का दांव चला है वह अब उतना आसान नहीं लग रहा है। खासकर बेशकीमती सम्पत्तियों के बिना मूल्यांकन के उसे निजी हाथों में सौंपने की जल्दबाजी भी बड़े सवाल खड़े कर रही है। 

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आकड़े दे रहे कई संकेत 

संघर्ष समिति ने बताया कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से वर्ष 2023- 24 में प्रति यूनिट रुपया 4.47 मिल रहा है जबकि निजी क्षेत्र की टोरेंट कंपनी से आगरा शहर में पावर कारपोरेशन को मात्र रुपया 4.36 प्रति यूनिट मिला है । यह आंकड़े साफ तौर पर बता रहे हैं की ग्रामीण क्षेत्र और चंबल के बीहड़ रहते हुए भी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से पावर कारपोरेशन को अधिक पैसा मिल रहा है और टोरेंट को बिजली देने में पावर कारपोरेशन को घाटा हो रहा है ।फिर भी निजीकरण के ऐसे विफल प्रयोग को पावर कार्पोरेशन प्रबंधन किस कारण से उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर थोपना चाहता है यह समझ में नहीं आ रहा है। 

बिना मूल्यांकन के इतनी बड़ी डील 

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की अरबों रुपए की बेशक कीमती जमीन  किस आधार पर मात्र एक रुपए में निजी घरानों  को सौंप दी जाएंगी। यह जनता की  परिसंपत्ति है। इसके अतिरिक्त अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों और कार्यालयों को बिना परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए किस आधार पर और कितने रुपए में निजी कंपनी को बेचने की तैयारी है ?

13 दिसंबर को मनाएंगे निजीकरण विरोधी दिवस

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी और अभियंता  13 दिसंबर को निजीकरण विरोधी दिवस मनाएंगे और कार्यालय समय के उपरांत  समस्त जनपदों , परियोजनाओं  एवं राजधानी लखनऊ में सभा करेंगे। संघर्ष समिति ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि    प्रबंधन ने अनावश्यक तौर पर निजीकरण का निर्णय लेकर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है । बिजली कर्मचारी शांतिपूर्वक बिजली व्यवस्था बेहतर बनाने में लगे हुए थे लेकिन अब प्रबंधन इसे पटरी से उतार देने पर तुला हुआ है।

 संघर्ष समिति ने कहा कि  पावर कॉरपोरेशन प्रबन्धन के इस रवैया से पूरे देश के बिजली कर्मचारी और अभियंता आंदोलित हो गए हैं। 13 दिसंबर को उप्र में बिजली के निजीकरण के विरोध में  पूरे देश में बिजली निजीकरण विरोधी दिवस मनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी और अभियंता भी इस कार्यक्रम को आयोजित कर रहे हैं।

 इन सब बातों से बिजली कर्मचारी और उपभोक्ता बहुत अधिक परेशान और उद्वेलित है इसीलिए शांति पूर्ण ढंग से ध्यानाकर्षण कार्यक्रम किए जा रहे हैं।आज गुरुवार को राजधानी लखनऊ में विभिन्न कार्यालयों व हाईडिल कॉलोनी में कर्मचारियों व उनके परिवारजनों ने  सभा में प्रतिभाग किया।

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औद्योगिक अशांति के लिए प्रबंधन जिम्मेदार 

 संघर्ष समिति ने आज यहां जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार के रहते हुए सबसे ज्यादा सुधार बिजली व्यवस्था में हो रहा है। बिजली कर्मचारी और अभियंता माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में बिजली व्यवस्था के सुधार में लगातार लगे हुए हैं किंतु पता नहीं क्यों पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने अचानक प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा कर बिजली कर्मियों को उद्वेलित कर दिया है और अनावश्यक रूप से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है । बिजली कर्मी अभी भी पूरी मेहनत से कार्य कर रहे हैं और निजीकरण के विरोध में  सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम कार्यालय समय के उपरांत कर रहे हैं जिससे बिजली व्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े और उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत ना हो।

ये रहे मौजूद 

 राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह। 

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