प्रदेश के 27 संगठनों ने बिजली के निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की

आने वाले दिन सरकारी विभागों के बीच काफी दबाव भरे होंगे साबित

उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विधुत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ अब उत्तर प्रदेश के तमाम विभागों के ज्यादातर कर्मचारी संगठनो ने मोर्चा थाम लिया है। जिससे निजीकरण की प्रक्रिया अब उतनी आसान नहीं लग रही है जिस तरह आईएएस प्रबंधन ने सोचा था। अगर बिजलीकर्मियों द्वारा बड़े आंदोलन की रूप रेखा बनी तो सरकार के लिए इससे निपटना बड़ी चुनौती बन जाएगी। हालांकि वर्तमान में जिस तरह पुलिस सहित कई विभागों को मोर्चे पर उतार दिया गया है उससे स्पष्ट है कि आने वाले दिन सरकारी विभागों के बीच काफी दबाव भरे साबित हो सकते है।  

रविवार को निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में प्रदेश के 27 श्रम संघों, कर्मचारी संगठनों और शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा है कि वह निजीकरण के विरोध में चल रहे बिजली कर्मचारियों के अभियान के साथ है। सभी श्रम संघों ने  बिजली कर्मचारियों के साथ एकजुटता जताते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि प्रदेश की जनता और कर्मचारियों के व्यापक हित में पावर कॉरपोरेशन द्वारा दिया गया निजीकरण का प्रस्ताव सरकार निरस्त किया जाये। 

सभी श्रम संघों ने कहा कि वे निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के साथ हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शान्ति पूर्ण ढंग से संघर्षरत बिजली कर्मियों का कोई भी उत्पीड़न किया गया तो राज्य सरकार के सभी कर्मचारी और शिक्षक बिजली कर्मचारियों के साथ आन्दोलन में उतरने को विवश होंगे।

निजीकरण का समाज पर पड़ेगा असर

लखनऊ में प्रेस वार्ता करते हुए श्रम संघों के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली के निजीकरण का समाज के सभी वर्गों पर बहुत दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है ।ऐसे में बिजली का निजीकरण जल्दबाजी में किया जाना कदापि उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आगरा और ग्रेटर नोएडा में बिजली के निजीकरण का प्रयोग विफल हो चुका है ।इन दोनों स्थानों पर गरीब उपभोक्ताओं और किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है ।निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है और उसका ध्यान मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं की ओर अधिक होता है। ऐसे में निजीकरण के बाद किसानों और सामान्य उपभोक्ताओं का हित पीछे छूट जाता है।

अत्यंत महंगी हो जाएगी बिजली 

संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के इसी असफल प्रयोग को बहुत बड़े पैमाने पर प्रदेश के 42 जिलों में  थोपना किसी भी प्रकार जनहित में नहीं है। निजीकरण के बाद प्रदेश में बिजली की दरों में भी बेतहाशा वृद्धि होने की आशंका है । मुंबई जैसे शहर में जहां बिजली के क्षेत्र में दो बड़ी निजी कंपनियां है वहां घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17 से 18 रुपए प्रति यूनिट है। उत्तर प्रदेश में अधिकतम दर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए रु 06.50  प्रति यूनिट है। उन्होंने कहा कि निजीकरण से घरेलू उपभोक्ताओं , किसानों  के बाद सबसे अधिक नुकसान कर्मचारियों का होने वाला है।

बड़े पैमाने पर होगी छटनी 

कहा कि कर्मचारी बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर सरकारी बिजली कंपनी में नौकरी करने आए थे ।अब उन्हें एक बार फिर निजी क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर करना पूरी तरह अन्याय पूर्ण है।  यदि कर्मचारी निजी क्षेत्र में नौकरी करना स्वीकार नहीं करेंगे तो उन्हें बड़े पैमाने पर छंटनी का खतरा है।

ये संगठन हुए शामिल 

बिजली कर्मचारियों के समर्थन में उत्तर प्रदेश अधिकारी महापरिषद के प्रधान महासचिव एवं उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव इं0 आशीष यादव, स्टेट इम्प्लाईज ज्वाइंट काउंसिल उप्र के अध्यक्ष जे एन तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल अग्रवाल, जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सतीश पांडे एवं महामंत्री रामकुमार धानुक, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष एस पी तिवारी,उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे, उत्तर प्रदेश मिनिस्टीरियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन के पवन कुमार, अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश सेवा निवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बी एल कुशवाहा, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के संरक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह, अटेवा के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के महामंत्री रिंकू राय, उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट संगठन के अध्यक्ष सुनील यादव, एटक के महामंत्री चंद्रशेखर, सीटू के अध्यक्ष रवि मिश्रा व महामंत्री प्रेमनाथ राय, हिंद मजदूर सभा के महामंत्री उमाशंकर मिश्र, इण्टक के सचिव दिलीप श्रीवास्तव, एआईसीसीटीयू के अध्यक्ष विजय विद्रोही व राज्य सहसचिव के0एम0एस0 मगन, टीयूसीसी के सचिव डॉ0 आरती, एआईयूटीयूसी के सचिव बालेंद्र कटियार, सेल्फ इम्पलाईज वुमेन एसोसिएशन(सेवा) की महामंत्री फरीदा जलीस, सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रीना त्रिपाठी व कोषाध्यक्ष सुमन दुबे, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष निशा सिंह, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के मंडल अध्यक्ष महेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश जयसवाल ने संयुक्त बयान जारी किया।

10 दिसंबर को बिजली कर्मचारी व अभियंता पूरे दिन काली पट्टी बांधेंगे 

  पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा एक तरफा मनमाने ढंग से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लेने के विरोध में उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षित करने हेतु प्रदेश के समस्त ऊर्जा निगमों  के तमाम बिजली कर्मचारी व अभियंता आगामी 10 दिसंबर को पूरे दिन काली पट्टी बंधेंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी एवं ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा जी से संघर्ष समिति ने अपील की है कि वह कर्मचारियों के व्यापक हित में निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी न दें।

संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम 
कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के. एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने आज यहां कहा कि निजीकरण से बड़े पैमाने पर होने वाली छंटनी और  पदावनति से बिजली कर्मचारियों के मन में भारी चिंता है।पावर कार्पोरेशन प्रबंधन घाटे के झूठे आंकड़े देकर प्रदेश को गुमराह कर रहा है और कर्मचारियों में भय का वातावरण बनाया जा रहा है। इस स्थिति में मुख्यमंत्री को कर्मचारियों के हित में हस्तक्षेप करने की अपील की गई है।

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