अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को निजी घरानों को सौंपने की जल्दबाजी में भारी घपले की आशंका
एटी एंड सी हानियों की रखी जा रही गलत तस्वीर , बिजली कर्मचारियों ने ओटीएस की सफलता के लिए चलाया अभियान
नयी दिल्ली -उत्तर प्रदेश के दो विधुत वितरण निगमों के निजीकरण का मामला दिन प्रतिदिन बड़े घपले की ओर इशारा करते जा रहा हैं। जिस जल्दबाजी से आईएएस प्रबंधन ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विधुत वितरण निगमों के निजीकरण का प्रयास किया है उसमे कई तकनीकी विसंगतियां बड़े सवाल खड़े कर रहीं हैं।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने कहा है कि राज्य सरकार ने किसानों के लिए मुफ्त बिजली का आदेश कर दिया है किन्तु अभी भी किसानों का बिजली बिल पॉवर कारपोरेशन के राजस्व एरियर में चल रहा है। जिससे ए टी एंड सी हानियों की गलत तस्वीर सामने रखकर निजीकरण किया जा रहा है।
संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन पर इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का घोर उल्लंघन कर 42 जनपदों की अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को निजी घरानों को सौंपने की जल्दबाजी में भारी घपले की आशंका जतायी है। 17 दिसम्बर को आगरा में हो रही बिजली पंचायत में आगरा के उपभोक्ता फोरम टोरेंट कंपनी के मनमानेपन को उजागर करेंगे।
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का घोर उल्लंघन
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने लखनऊ में बताया कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 131 में परिसंपत्तियों के निजी घरानों को ट्रान्सफर के नियम बताए गए हैं। सेक्शन 131 के अनुसार ऐसी परिसंपत्तियों का राजस्व क्षमता (Revenue Potential) के अनुसार मूल्यांकन कर ही हस्तांतरण किया जाएगा। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 131 में आगे और स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति या उपक्रम जो पूरी तरह से राज्य के स्वामित्व में नहीं है, अंतरिती (Transferee) द्वारा राज्य सरकार को उचित मूल्य (Fair Value) का भुगतान किया जाएगा।
बड़े घोटाले की आशंका
संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 15596 करोड़ रुपए और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के लिए 13938 करोड़ रुपए का राजस्व लक्ष्य है। यह कुल 29534 करोड़ रुपए है। स्वाभाविक है कि इन निगमों की राजस्व क्षमता इससे अधिक ही होगी। इसी प्रकार इनकी परिसंपत्तियों का अरबों खरबों रुपए का मोटा अनुमान है जिसे बेचने के लिए 1500 करोड़ रु रिजर्व प्राइस रखी गई है। पूरी जमीन निजी घरानों को मात्र एक रुपए प्रति वर्ष की लीज पर दे दी जाएगी। इतने बड़े घोटाले की आशंका के बीच पॉवर कारपोरेशन की निजीकरण की तेजी समझ के परे है।
परिसंपत्तियों का अभी नहीं हुआ है मूल्यांकन
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि जब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियों का सी ए जी के द्वारा ऑडिटेड मूल्यांकन ही नहीं किया गया है,तब इन वितरण निगमों की परिसंपत्तियों का स्थानांतरण किस उचित मूल्य (Fair Value) पर किया जाएगा। साथ ही परिसंपत्तियों का राजस्व क्षमता (Revenue Potential) के अनुसार मूल्यांकन किए बिना कैसे निजीकरण की बात इतनी तीव्र गति से बढ़ाई जा रही है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियों का ऑडिटेड मूल्य और राजस्व क्षमता सार्वजनिक करना चाहिए।
ओटीएस में दिखाएंगे कर्मठता
पावर कॉर्पोरेशन द्वारा चालू किये गए वार्षिक एक मुश्त समाधान योजना के मौके को बिजलीकर्मियों ने अपनी कर्मठता साबित करने के रूप में लिया है। बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश के सभी जनपदों में उपभोक्ताओं के लिए शुरू की गई एक मुश्त समाधान योजना की सफलता हेतु व्यापक अभियान चलाया, साथ ही उपभोक्ताओं को निजीकरण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक किया।