हाइड्रो श्रेणी की स्वदेश में विकसित सतही हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन प्रौद्योगिकी को मान्यता
नई दिल्ली, 26 नवंबर 2024: भारत के बिजली क्षेत्र में नवाचार और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयासों में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने हाइड्रो श्रेणी की स्वदेश में विकसित सतही हाइड्रोकाइनेटिक टर्बाइन (एसएचकेटी) तकनीक को मान्यता दी है। यह कदम शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों और देश के सतत विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
क्या है एसएचकेटी तकनीक?
सतही हाइड्रोकाइनेटिक टर्बाइन (एसएचकेटी) तकनीक बहते पानी की गतिज ऊर्जा का उपयोग करके बिजली उत्पादन करती है, जिसमें पारंपरिक 'हेड' की आवश्यकता नहीं होती। इसके विपरीत, पारंपरिक जलविद्युत संयंत्रों को बांध या बैराज जैसी संरचनाओं के निर्माण की आवश्यकता होती है।
तकनीक के लाभ:
- किफायती उत्पादन: यह तकनीक 2-3 रुपये प्रति यूनिट की कम लागत पर बिजली उत्पादन करती है।
- आसान स्थापना: इसे कहीं भी स्थापित करना आसान है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां ग्रिड की पहुंच नहीं है।
- स्थायी ऊर्जा समाधान: यह बेस-लोड अक्षय ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में सक्षम है।
बिजली क्षेत्र में संभावनाएं:
एसएचकेटी तकनीक नहरों और जलविद्युत टेलरेस चैनलों जैसी जल संरचनाओं के उपयोग से भारत में गीगावाट पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन का अवसर प्रदान करती है। यह तकनीक भारत के बिजली क्षेत्र को अधिक टिकाऊ और उन्नत बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
सरकार का दृष्टिकोण:
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने इस तकनीक को मान्यता देकर न केवल अक्षय ऊर्जा के नवाचारों को बढ़ावा दिया है, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में स्वदेशी समाधान अपनाने की अपनी प्रतिबद्धता भी दर्शाई है। यह पहल हरित ऊर्जा के लिए भारत के प्रयासों को और सुदृढ़ करेगी। (PIB)