रेडियो और दूरदर्शन ने पांच सौ से अधिक गुमनाम नायकों की खोज की
मीडिया को आत्मनिरीक्षण की जरूरत
"ये आकाशवाणी है", वे अमर शब्द हैं, जिन्हें हर भारतीय पहचान सकता है, इनकी गूंज आज आकाशवाणी भवन के रंग भवन सभागार में सुनायी दे रही थी, क्योंकि अनुराग ठाकुर ने इन शब्दों के साथ "और आज आप सूचना प्रसारण मंत्री को सुन रहे हैं" कहकर अपना वाक्य पूरा किया था। इन शुरुआती शब्दों ने आज राष्ट्रीय प्रसारण दिवस उत्सव को रेखांकित किया, इन्हीं शब्दों के साथ ऑल इंडिया रेडियो की 1927 में शुरुआत हुई थी, जो अब तक एक लंबी और शानदार यात्रा रही है।
उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कुछ लोगों ने अनुमान लगाया था कि टेलीविजन और बाद में इंटरनेट के आने से रेडियो का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा, लेकिन रेडियो ने अपने दर्शकों की पहचान की है और न केवल अपनी प्रासंगिकता बल्कि विश्वसनीयता को भी बनाए रखा है।
उन्होंने कहा कि आज, जब लोग निष्पक्ष समाचार सुनना चाहते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से आकाशवाणी और दूरदर्शन की खबरें सुनते हैं। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी देश के 92 प्रतिशत भू-भाग और 99 प्रतिशत से अधिक लोगों को कवर करती है और यह एक सराहनीय उपलब्धि है।
एक प्लेटफार्म के रूप में रेडियो के महत्व के बारे में श्री ठाकुर ने कहा कि कई प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन किसी ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह रेडियो के मूल्य को नहीं समझा, जिन्होंने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों से सीधे जुड़ने के लिए इसे अपने मनपसंद माध्यम के रूप में चुना है।
केन्द्रीय मंत्री ने मीडिया को सतर्क करते हुए कहा कि अगर कहीं ‘मीडिया ट्रायल’ जैसे कथनों के माध्यम से निजी मीडिया के बारे में गलत धारणा पैदा हो रही है, तो हमें अपने कामकाज के बारे में आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।
आजादी का अमृत महोत्सव के भाव को अभिव्यक्ति प्रदान करने में दो संस्थाओं- आकाशवाणी और दूरदर्शन- की भूमिका को श्रेय देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जहां स्वतंत्रता के बाद से अब तक की शिक्षा प्रणाली ने कई क्षेत्रीय स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका का उल्लेख नहीं किया, वहीं रेडियो और दूरदर्शन ने देश के दूर-दराज इलाकों के पांच सौ से अधिक गुमनाम नायकों के बारे में जानकारी एकत्रित की और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदानों की सराहना करते हुए इसे राष्ट्र के सामने प्रस्तुत किया।
केन्द्रीय मंत्री ने दोनों एजेंसियों के लिए सामग्री (कंटेंट) के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह सामग्री ही थी जिसने लोगों को इन दोनों चैनल की ओर खींचा। उन्होंने कहा कि टावरों के माध्यम से पहुंच चाहे जितनी भी हो जाए, वह सामग्री के महत्व की बराबरी नहीं कर सकती। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस डिजिटल युग में रेडियो लोगों के बीच अपनी उपस्थिति को और मजबूत करेगा।
केन्द्रीय मंत्री ने दूरदर्शन पर नए धारावाहिकों- कॉरपोरेट सरपंच: बेटी देश की, जय भारती, सुरों का एकलव्य और ये दिल मांगे मोर के साथ-साथ स्टार्टअप चैंपियंस 2.0 के प्रोमो को जारी किया।
केन्द्रीय सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के अवसर पर दर्शकों को शुभकामनाएं दीं। डॉ. मुरुगन ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान रेडियो द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला जब कई स्वतंत्रता सेनानियों ने इसका उपयोग ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार के खिलाफ संचार के एक उपकरण के रूप में किया। उन्होंने देश के दूर-दराज के इलाकों को जोड़ने में रेडियो द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित किया और प्रसार भारती के दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रसारक होने पर गर्व व्यक्त किया।
प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मयंक अग्रवाल ने टेलीविजन और रेडियो जैसे दो माध्यमों के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि इन प्लेटफार्मों पर प्रस्तुत समाचार सामग्री ने विश्वसनीयता की दृष्टि से निजी मीडिया की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है और इस तथ्य को विभिन्न सर्वेक्षणों द्वारा सामने लाया गया है।
इस अवसर पर आकाशवाणी के महानिदेशक एन. वेणुधर रेड्डी तथा प्रसार भारती, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।