पीपीपी के जरिये बंदरगाहों पर माल की लदाई-उतराई 2030 तक 85 प्रतिशत निर्धारित
बंदरगाह सेक्टर में निवेश को आकर्षित करने के लिये पीपीपी को कारगर तरीका माना जाता है। पीपीपी के तहत अब तक 55,000 करोड़ रुपये की कीमत की 86 परियोजनाओं को मंजूर किया गया है। पीपीपी आधार पर प्रमुख परियोजनाओं में गोदी, मशीनीकरण, तेल जेट्टी का विकास, कंटेनर जेट्टियों का विकास, कंटेनर टर्मिनल के ओ-एंड-एम का विकास, अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल के ओ-एंड-एम का विकास, पीपीपी प्रणाली के गैर-प्रमुख परिसम्पत्तियों का वाणिज्यीकरण, पर्यटन परियोजनाओं का विकास, जैसे बंदरगाहों, द्वीपों का विकास, ताकि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। कार्गो के परिमाण में भी बढ़ोतरी की आशा है, जिसके मद्देनजर यह बढ़ोतरी 2020 के 1.7 प्रतिशत के बढ़कर 2020 तक दोगुनी हो जायेगी। संभावना है कि पीपीपी या अन्य संचालकों द्वारा प्रमुख बंदरगाहों पर माल की लदाई-उतराई का प्रतिशत वर्ष 2030 तक 85 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये हर वर्ष अहम है।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने वित्तवर्ष 2025 तक तमाम परियोजनाओं को चिह्नित किया है। इसके तहत मंत्रालय ने वित्तवर्ष 2022 के लिये 6954 करोड़ रुपये की 13 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। वित्तवर्ष 2023 में 12,550 करोड़ रुपये की 24 परियोजनाओं को लक्षित किया गया है। इसके अलावा वित्तवर्ष 2024 और वित्तवर्ष 2025 में 23,000 करोड़ रुपये की 24 परियोजनाओं की तैयारी है। पारादीप के पश्चिमी बंदरगाह और जेएन बंदरगाह कंटेनर टर्मिनल जैसी उच्च परियोजनाओं का कुल मूल्य 3,800 करोड़ रुपये से अधिक है। इनमें डीपीए की दो परियोजनाओं को आबंटित किया जा चुका है, जिनका मूल्य 6000 करोड़ रुपये है। ये आरएफक्यू चरण में हैं।
इस उपलब्धि पर अपने विचार व्यक्त करते हुये पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा, “जैसा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विचार है कि पीपीपी प्रणाली, प्रगति के लिये सक्षम साझेदारों के रूप में निजी उद्यमों के समावेश के सिद्धांत पर आधारित है। इसके मद्देनजर यह परियोजना टर्मिनल में क्रेन और गोदी की क्षमता के इस्तेमाल में सुधार लायेगी। इसके अलावा, जेनपीसीटी में माल की लदाई-उतराई की मौजूदा क्षमता में 2020-21 की 1.5 मिलियन टीईयू से बढ़कर 1.8 मिलियन टीईयू हो जायेगी। इससे जेएनपीए की हैसियत ‘भारत के प्रमुख कंटेनर बंदरगाह’ के रूप में हो जायेगी। उल्लेखनीय है कि इस टर्मिनल पर रो-रो जहाजों (ढकेल कर माल उतारे जाने वाले जहाज) की भी संभाल की जायेगी। इससे लॉजिस्टिक्स की कीमत में भी कमी आयेगी और साथ ही यातायात का समय भी बचेगा। साथ ही सड़कों पर भीड़-भाड़ कम होगी तथा स्वच्छ वातावरण को प्रोत्साहन मिलेगा।”