चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच क्वाड शिखर सम्मेलन का आयोजन

 चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच क्वाड शिखर सम्मेलन का आयोजन

नई दिल्ली- चीन का हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर बढ़ता प्रभाव न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है। आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक क्षेत्रों में चीन के बढ़ते कदमों को संतुलित करने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने क्वाड जैसे समूहों के माध्यम से अपने सहयोग को मजबूत किया है। हालांकि, चीन की शक्ति और प्रभाव को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।

उधर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए, जहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के गृहनगर विलमिंगटन में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के "समिट ऑफ द फ्यूचर" को संबोधित करेंगे। क्वाड शिखर सम्मेलन में वह राष्ट्रपति बाइडेन, प्रधानमंत्री अल्बानसे और प्रधानमंत्री किशिदा के साथ शामिल होकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, प्रगति और समृद्धि को बढ़ावा देने पर चर्चा करेंगे।

रवाना होने  पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि यह यात्रा भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसके साथ ही वे भारतीय प्रवासियों और अमेरिकी व्यापारिक नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। संयुक्त राष्ट्र में "समिट ऑफ द फ्यूचर" के दौरान प्रधानमंत्री वैश्विक मुद्दों पर भारत के विचार साझा करेंगे, जिसमें मानवता के कल्याण के लिए आगे की दिशा पर जोर दिया जाएगा। हालांकि वे चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर सीधे तौर पर कुछ कहेंगे यह देखने लायक होगा।

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photo by PIB

 

क्या है क्वाड शिखर सम्मेलन

यह  एक उच्च स्तरीय बैठक है, जिसमें चार देशों के नेताओं का समूह हिस्सा लेता है। इसे क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (Quadrilateral Security Dialogue) या संक्षेप में क्वाड कहा जाता है। यह समूह चार प्रमुख देशों – भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया – के बीच एक सामरिक सहयोग का मंच है।

क्वाड शिखर सम्मेलन का उद्देश्य

क्वाड का मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, और स्थिरता बनाए रखना है। इसमें शामिल देश समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, आपदा राहत, साइबर सुरक्षा, तकनीकी सहयोग, जलवायु परिवर्तन, और कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन निर्माण जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करते हैं।

क्वाड की उत्पत्ति: क्वाड की शुरुआत 2007 में हुई थी, लेकिन इसका आधिकारिक रूप 2017 में फिर से उभरा।
अधिकारिक शिखर सम्मेलन: पहली औपचारिक क्वाड शिखर सम्मेलन मार्च 2021 में आयोजित की गई थी।

केंद्रित क्षेत्र: क्वाड का मुख्य ध्यान हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर है, जहां ये देश चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए सामरिक सहयोग बढ़ाने पर ध्यान देते हैं।

साझा हित: चारों देशों के साझा हितों में लोकतंत्र, अंतरराष्ट्रीय कानून, और आर्थिक विकास शामिल हैं।

क्वाड का महत्व:

क्वाड शिखर सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और भू-राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए चारों देशों की प्रतिबद्धता और सहयोग का संकेत है। इसके जरिए आर्थिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर इन देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलता है।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर चीन का प्रभाव

हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर चीन का प्रभाव हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है, और यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख भू-राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है। इस प्रभाव को कई क्षेत्रों में देखा जा सकता है, जिसमें आर्थिक, सैन्य, और कूटनीतिक गतिविधियाँ शामिल हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं

 

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photo by pixabay

आर्थिक प्रभाव:
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI): चीन का "बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव" (BRI) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आर्थिक शक्ति को विस्तार देने का सबसे प्रमुख साधन है। इसके माध्यम से चीन विभिन्न देशों में बुनियादी ढांचे, परिवहन और ऊर्जा परियोजनाओं में भारी निवेश कर रहा है, जिससे उन देशों की अर्थव्यवस्था चीन पर निर्भर होती जा रही है।

ऋण-जाल कूटनीति  कुछ आलोचकों का मानना है कि चीन इस क्षेत्र के छोटे और विकासशील देशों को भारी कर्ज देकर अपने प्रभाव को बढ़ा रहा है, जिसके कारण कई देश चीन के प्रभाव में आ जाते हैं। उदाहरण के तौर पर श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल के लिए लीज पर देना एक प्रमुख उदाहरण है।

व्यापार: चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। उसकी विशाल अर्थव्यवस्था और उत्पादन क्षमता उसे इस क्षेत्र में आर्थिक प्रभुत्व बनाए रखने में मदद करती है।

सैन्य प्रभाव

दक्षिण चीन सागर पर दावा: चीन का सबसे बड़ा सैन्य और सामरिक प्रभाव दक्षिण चीन सागर में देखा जाता है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है, जिसे अन्य क्षेत्रीय देश जैसे वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, और ब्रुनेई चुनौती देते हैं। चीन ने इस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण किया है और उन्हें सैन्य ठिकानों में तब्दील किया है।

नौसेना शक्ति का विस्तार: चीन तेजी से अपनी नौसेना शक्ति को बढ़ा रहा है और उसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात कर रहा है। यह समुद्री मार्गों को नियंत्रित करने की उसकी मंशा को दर्शाता है, विशेष रूप से मलक्का स्ट्रेट और हॉर्न ऑफ अफ्रीका जैसे महत्वपूर्ण जल मार्गों पर।

चीनी सैन्य अड्डे: चीन ने हिंद महासागर में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए जिबूती में एक सैन्य अड्डा स्थापित किया है, और वह अन्य देशों में भी अपने सैन्य ठिकानों का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है।

 कूटनीतिक प्रभाव

द्विपक्षीय संबंध: चीन इस क्षेत्र के कई देशों के साथ घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका के देशों के साथ।

अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर प्रभाव: चीन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कूटनीतिक प्रभाव बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में अपनी भागीदारी को बढ़ाया है। उसने कई क्षेत्रीय संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाई है और उनकी नीतियों पर असर डालने की कोशिश की है।

सुरक्षा चुनौतियाँ

साइबर हमले और स्पायिंग: चीन पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों ने साइबर हमलों और जासूसी गतिविधियों का आरोप लगाया है। यह क्षेत्र चीन की डिजिटल और तकनीकी उपस्थिति के कारण साइबर सुरक्षा के मामले में चुनौतीपूर्ण बन गया है।

टकराव की स्थिति: चीन के आक्रामक रुख और क्षेत्रीय दावों के कारण हिंद-प्रशांत में टकराव की स्थिति बनी रहती है। विशेष रूप से अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश क्वाड के माध्यम से चीन के इस प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।

सॉफ्ट पावर प्रभाव

संस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग: चीन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सॉफ्ट पावर बढ़ाने के लिए शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है। इसके तहत कन्फ्यूशियस संस्थान जैसे शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की गई है, जो चीन की भाषा और संस्कृति का प्रचार करते हैं।

मीडिया और प्रचार: चीन अपनी वैश्विक मीडिया उपस्थिति के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सकारात्मक छवि बनाने का प्रयास करता है। वह सरकारी मीडिया चैनलों के जरिए अपनी नीतियों और योजनाओं का प्रचार-प्रसार करता है।

फोटो प्रतीकात्मक 

 

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