कोयला मंत्रालय ने 3 वाणिज्यिक कोयला खदानों के लिए आवंटन आदेश जारी किए
नई दिल्ली-5 सितंबर 2024 को कोयला मंत्रालय ने एनएलसी इंडिया लिमिटेड, गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड और टैंजेडको को 3 महत्वपूर्ण वाणिज्यिक कोयला खदानों के आवंटन आदेश जारी किए। ये खदानें मच्छकाटा (संशोधित), कुडनाली लुबरी और सखीगोपाल-बी काकुरही हैं। इनमें से एक खदान पूरी तरह से दोहन की जा चुकी है, जबकि दो खदानें आंशिक रूप से दोहन की गई हैं।
इन तीन खदानों की कुल पीक रेटेड क्षमता (पीआरसी) 30 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और इन खदानों में 2,194.10 मिलियन टन का भूवैज्ञानिक भंडार है। इन खदानों से प्रतिवर्ष 2,991.20 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है, जबकि इन खदानों में 4,500 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया जाएगा। इसके अलावा, इन खदानों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 40,560 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।
इन खदानों के आवंटन के साथ अब तक 202.50 एमटीपीए की कुल पीआरसी के साथ 95 कोयला खदानों के लिए आवंटन आदेश जारी किए जा चुके हैं। इन खदानों से प्रतिवर्ष 29,516.84 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है और इनसे लगभग 2,73,773 रोजगार अवसर सृजित किए जाएंगे।
आवंटन की मुख्य बातें:
- कोयला खदानें: मच्छकाटा (संशोधित), कुडनाली लुबरी, सखीगोपाल-बी काकुरही
- पीक रेटेड क्षमता (पीआरसी): 30.00 एमटीपीए
- भूवैज्ञानिक भंडार: 2,194.10 एमटी
- वार्षिक राजस्व: 2,991.20 करोड़ रुपये
- निवेश: 4,500 करोड़ रुपये
- रोजगार: 40,560 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से
भारत की कोयला नीति: भारत सरकार की कोयला नीति का उद्देश्य देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करना और घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस दिशा में वाणिज्यिक खदानों का आवंटन निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, जिससे रोजगार सृजन और निवेश को बढ़ावा मिलता है।
फायदे:
- रोजगार सृजन: प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार।
- आर्थिक विकास: वार्षिक राजस्व और पूंजी निवेश से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
- ऊर्जा सुरक्षा: कोयला खदानों के उपयोग से घरेलू ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
स्रोत-PIB