योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया

योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया

फ़ाइल फोटो

नई दिल्ली- भारत के पैरा एथलीट योगेश कथुनिया ने पेरिस 2024 पैरालंपिक्स में एक बार फिर देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने पुरुषों की डिस्कस थ्रो F56 इवेंट में रजत पदक जीतकर अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया। 27 वर्षीय योगेश का यह शानदार प्रदर्शन उनके निरंतर समर्पण और कड़ी मेहनत का प्रमाण है। इस उपलब्धि ने भारत के पदक तालिका में एक और रत्न जोड़ दिया है और देशवासियों को गर्वित किया है।

एक प्रेरणादायक यात्रा:

दिल्ली में जन्मे और बहादुरगढ़, हरियाणा में पले-बढ़े योगेश कथुनिया ने 20 साल की उम्र में पैरा एथलेटिक्स को अपनाया। उनके कॉलेज के सचिव सचिन यादव ने उन्हें इस खेल से परिचित कराया। योगेश ने कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद डिस्कस थ्रो को चुना और इसमें अपनी विशेष रुचि दिखाई। उनका कहना है कि उन्हें डिस्कस थ्रो के खेल से बहुत लगाव है क्योंकि यह अन्य खेलों से बहुत अलग है। उन्होंने कहा, "मुझे यह पसंद है जब डिस्कस दूर तक जाता है।"

योगेश की मां ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया है, और उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय भी उन्हें ही दिया है। उनकी मेहनत और अनुशासन ने उन्हें 2020 के टोक्यो पैरालंपिक्स में भी रजत पदक दिलाया था, और अब उन्होंने पेरिस 2024 में भी इस सफलता को दोहराया है।

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शानदार करियर और उपलब्धियां:

योगेश कथुनिया ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। टोक्यो 2020 पैरालंपिक्स में उन्होंने F56 डिस्कस थ्रो में 44.38 मीटर की थ्रो के साथ रजत पदक जीता। इसके बाद, उन्होंने 2022 एशियन पैरागेम्स में रजत पदक और 2023 तथा 2024 वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में भी रजत पदक जीते। योगेश ने 2019 में दुबई में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उनके इन तमाम उपलब्धियों ने उन्हें भारतीय पैरा एथलेटिक्स के प्रमुख चेहरों में से एक बना दिया है।

युवाओं के लिए प्रेरणा:

योगेश न केवल एक सफल एथलीट हैं, बल्कि उन्होंने युवाओं को प्रेरित करने के लिए 2022 में नारायणगढ़, हरियाणा में 'योगेश थ्रोइंग अकादमी' की स्थापना की। उनका लक्ष्य है कि नए एथलीटों को वे वित्तीय कठिनाइयों का सामना न करना पड़े, जिससे उन्होंने खुद को पार किया है। योगेश का सपना है कि उनकी अकादमी एक बड़े स्टेडियम जैसी हो, जहां विभिन्न देशों के एथलीट आकर प्रशिक्षण ले सकें।

योगेश कथुनिया की यह सफलता न केवल उनके व्यक्तिगत धैर्य और संकल्प का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि किसी भी बाधा के बावजूद, अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और संकल्प मजबूत हो, तो सफलता निश्चित है। उनकी यह यात्रा और उपलब्धियां सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। योगेश का यह रजत पदक पेरिस 2024 पैरालंपिक्स में उनकी अनथक मेहनत और समर्पण का प्रमाण है और भारत के खेल इतिहास में उनका नाम सदैव याद किया जाएगा।

फोटो क्रेडिट-फेसबुक 

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