महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण के लिए तय है रणनीतिक खनन कार्यक्रम
नई दिल्ली- केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर मेंबताया कि केंद्र सरकार ने देश में महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण और खनन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं।
खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 को 2023 में संशोधित किया गया, ताकि केंद्र सरकार को 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के संबंध में ब्लॉकों की नीलामी करने का अधिकार प्राप्त हो सके। अब तक 14 ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की जा चुकी है। महत्वपूर्ण और गहरे खनिजों के अन्वेषण को बढ़ावा देने के क्रम में, 29 महत्वपूर्ण और गहरे खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस नाम से एक नई खनिज रियायत शुरू की गई है, जो लाइसेंसधारक को इन खनिजों का पता लगाने और पूर्वेक्षण संचालन करने की अनुमति देगी।
इसके अलावा, अन्वेषण में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, खान मंत्रालय ने 22 निजी अन्वेषण एजेंसियों (एनपीईए) को अधिसूचित किया है। ये एजेंसियां राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) से प्राप्त वित्त पोषण के माध्यम से अन्वेषण परियोजनाएं शुरू कर रही हैं।
भारत सरकार ने वर्ष 2015, 2021 और 2023 के दौरान एमएमडीआर अधिनियम, 1957 में संशोधन के माध्यम से विभिन्न नीतिगत सुधार पेश किए हैं। इन संशोधनों की कुछ प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं - अधिक पारदर्शिता के लिए नीलामी के माध्यम से खनिज रियायतें प्रदान करना, खनन संबंधी कार्यों से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से जिला खनिज फाउंडेशन की स्थापना, अन्वेषण को गति प्रदान करने के लिए एनएमईटी (राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट) की स्थापना, सभी कैप्टिव खदानों को उत्पादित खनिजों का 50% तक बेचने की अनुमति देकर कैप्टिव और मर्चेंट खदानों के बीच अंतर को खत्म करना, 24 महत्वपूर्ण खनिजों के संदर्भ में खनन पट्टे और समग्र लाइसेंस की विशेष रूप से नीलामी आयोजित करने के लिए केंद्र सरकार को सशक्त बनाना, खनिज अन्वेषण में निजी भागीदारी के लिए एनपीईए (अधिसूचित निजी अन्वेषण एजेंसियों) को मान्यता देना और 29 महत्वपूर्ण और गहरे खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस नाम से एक नई खनिज रियायत की शुरुआत करना आदि। ये सभी सुधार निवेश को बढ़ावा देंगे और खनन क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाएंगे।
खनिज संरक्षण एवं विकास नियम, 2017, "अध्याय V: सतत खनन" में विभिन्न पर्यावरणीय पहलुओं को शामिल किया गया है, जैसे ऊपरी मिट्टी को हटाना और उसका उपयोग करना, भूमि कंपन के विरुद्ध सावधानी बरतना, वायु और ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण, विषैले तरल पदार्थ के निर्वहन के विरुद्ध सावधानी बरतना और वनस्पतियों की पुनर्स्थापना। इसके अलावा, प्रत्येक पट्टाधारक को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, वन (संरक्षण) अधिनियम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण आदि के दिशा-निर्देशों के तहत किए गए प्रावधानों का पालन करना होगा। इसी प्रकार, खान अधिनियम 1952 और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों में खदानों में कार्यरत व्यक्तियों के लिए व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रावधान किए गए हैं। श्रम सुरक्षा मानकों के प्रावधानों को खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाता है।