2015 के बाद पुनः रिहन्द जलाशय का जलस्तर न्यूनतम रहने की संभावना

2015 के बाद पुनः रिहन्द जलाशय का जलस्तर न्यूनतम रहने की संभावना

नई दिल्ली,23 सितंबर 2022-देश में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन में जलीय आधार बनने वाले उत्तर प्रदेश के रिहन्द जलाशय में 2015 के बाद पुनः न्यूनतम जलस्तर बने रहने की संभावना पैदा हो गयी है। मानसून सत्र के अंतिम सप्ताह शुरू होने के साथ ही अब सोनभद्र जिले में मौजूद रिहन्द के जलस्तर के अधिकतम से लगभग 15 फ़ीट तक कम रहने की पूरी संभावना बन गयी है।  10 हजार मेगावाट से ज्यादा क्षमता की इकाइयों के लिए जल उपलब्ध कराने वाले इस जलाशय का जलस्तर 23 सितंबर को 852.8 फ़ीट था जो अधिकतम से अभी लगभग 19 फ़ीट कम है।पिछले वर्ष इस दिन तक जलस्तर 866.2 फ़ीट था।  वर्ष 2015 में अधिकतम जलस्तर 853.2 फ़ीट ही पहुँच पाया था। 

सरगुजा में कम बारिश का पड़ा असर
 
लगातार दूसरे वर्ष सरगुजा में कम बारिश का सीधा असर इस बड़े जलाशय पर पड़ा है।पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ में सबसे कम बारिश सरगुजा जिले में ही हुयी है।  उत्तरी-पूर्वी छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में चालू मानसून सत्र के दौरान 22 सितंबर तक सामान्य से 46 फीसद कम बारिश हुयी है।पिछले वर्ष भी सरगुजा में 22 सितंबर तक सामान्य से 24 फीसद कम बारिश हुयी थी।मानसून के शेष दिनों में ज्यादा बारिश की चेतावनी मौसम विभाग ने नहीं दी है। अगले सप्ताह में मध्य भारत में बारिश की बात मौसम विभाग कह रहा है। इसका कितना असर इस पूर्व मध्य क्षेत्र पर पड़ेगा यह समय बताएगा।  
 
कई अन्य जिलों में भी कम बारिश 
 
 रिहन्द जलाशय के लिए सबसे ज्यादा जल संग्रह करने वाले जनपदों में एक सूरजपुर में भी इस वर्ष अभी तक सामान्य से 17 फीसद कम बारिश हुयी है। इसके अलावा सोनभद्र में सामान्य से 15 फीसद एवं सिंगरौली में 9 फीसद कम बारिश हुयी है। फिलहाल रिहन्द नदी के जलस्तर में पिछले तीन दिनों के दौरान आंशिक वृद्धि दर्ज हुयी है। जिसके कारण रिहन्द जलाशय के जलस्तर में वृद्धि जारी है।      
 

Related Posts

Latest News

ऊर्जा मंत्री के निजीकरण समर्थक बयान पर भड़की संघर्ष समिति ऊर्जा मंत्री के निजीकरण समर्थक बयान पर भड़की संघर्ष समिति
नयी दिल्ली - उत्तर प्रदेश के शीतकालीन सत्र में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा दिए गए बयान ने...
भारत में कोयला आयात में कमी
उप्र में बिजली के निजीकरण के विरोध में देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन
44000 करोड़ रुपए खर्च के बाद अचानक ऊर्जा निगमों को बेचने पर उठे सवाल
भारत बना अक्षय ऊर्जा की राजधानी: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी
अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को निजी घरानों को सौंपने की जल्दबाजी में भारी घपले की आशंका
निजीकरण के मामले ने योगी सरकार की विश्वसनीयता पर उठाये सवाल
"भारत का राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2024: हरित भविष्य की ओर"
"निजीकरण विरोधी दिवस" मनाकर देशभर के बिजलीकर्मियों ने दिखाई एकजुटता
आसान नहीं होगा आईएएस प्रबंधन के लिए बिजलीकर्मियों का विकल्प ढूँढना