निजीकरण के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति का टेंडर प्रकाशित, विरोध शुरू
काली पट्टी बांधकर विरोध का अभियान चलेगा पूरे सप्ताह
By TPT डेस्क
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नई दिल्ली - उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने आज प्रदेश भर में काली पट्टी बांधकर विरोध सभाएं की। निजीकरण हेतु कंसल्टेंट की नियुक्ति करने का टेंडर समाचार पत्रों में प्रकाशित होने से बिजली कर्मचारियों का गुस्सा और बढ़ गया है। संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया है कि काली पट्टी बांधकर विरोध का अभियान पूरे सप्ताह जारी रखा जाएगा।
संघर्ष समिति ने संविदा कर्मियों की छटनी की कठोर शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन निजीकरण की जल्दी में बिजली व्यवस्था पटरी से उतार देने पर उतारू है। संविदा कर्मियों को निकाल कर भय का वातावरण बनाया जा रहा है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि भय फैलाकर निजीकरण करने के मंसूबे किसी कीमत पर पूरे नहीं होने देंगे।
कंसल्टेंट की नियुक्ति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा की ट्रांजैक्शन एडवाइजर/ कंसल्टेंट की नियुक्ति करने के विज्ञापन में साफ-साफ लिखा है की कंसल्टेंट की नियुक्ति उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेश लिमिटेड को पीपीपी मॉडल पर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम एवं पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु सहायता प्रदान करने के लिए की जानी है।
उल्लेखनीय है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन और सरकार लगातार यह करते रहे हैं कि यह निजीकरण नहीं है अपितु पीपीपी मॉडल पर भागीदारी है। लेकिन टेंडर नोटिस में साफ लिखा है -"पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण।"
महाकुम्भ पर निजीकरण
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि आज ही प्रयागराज में शताब्दी का सबसे बड़ा महाकुम्भ प्रारम्भ हुआ और आज ही निजीकरण हेतु टेंडर नोटिस प्रकाशित करना, प्रबन्धन द्वारा जानबूझकर ऊर्जा निगमों में अशांति का वातावरण बनाने की साजिश है। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ में शानदार सफलता की जीवन रेखा बिजली है जिसे श्रेष्ठतम बनाए रखने हेतु बिजली कर्मी लगे हुए हैं। ऐसे में प्रबन्धन की यह कोशिश पूरी तरह अनावश्यक, घोर आपत्तिजनक और अमान्य है।
पुनः कंसल्टेंट नियुक्त करने पर सवाल
संघर्ष समिति ने यह सवाल भी उठाया कि इसके पूर्व पॉवर कारपोरेशन ने दिसम्बर माह में एक कंसल्टेंट मेसर्स मार्कडोज से रिपोर्ट लेकर एनर्जी टास्क फोर्स में पारित कराई थी। अब नए सिरे से पुनः कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया का क्या मतलब है ?ऐसा लगता है कि प्रबंधन ने निजीकरण हेतु कंसल्टेंट से लेकर पी पी पी मॉडल पर निजी घरानों का नाम पहले ही तय कर रखा है और सारी प्रक्रिया केवल उन्हीं पूर्व निर्धारित निजी घरानों को पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को बेचने के लिए की जा रही है।
संघर्ष समिति ने एक बार फिर कहा कि लाखों करोड़ों रुपए की विद्युत वितरण निगमों की परिसंपत्तियों का बिना मूल्यांकन कराए किस आधार पर इसे बेचने के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति जा रही है। साथ ही प्रबंधन यह भी बताए कि 42 जनपदों की अरबों खरबों रुपए की जमीन मात्र एक रुपए में निजी कंपनी को सौंपने से बिजली उपभोक्ताओं का क्या भला होने वाला है ?
संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारियों के साथ आम उपभोक्ता और किसान भी इस मेगा लूट को समझ रहे हैं और बड़े आंदोलन की तैयारी की जा रही है।राजधानी लखनऊ में आज लेसा, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय, पारेषण भवन, एस एल डी सी और शक्ति भवन मुख्यालय पर अलग अलग विरोध सभाएं हुई। शक्ति भवन मुख्यालय पर बड़ी सभा हुई।
इन्होने किया सभा को सम्बोधित
राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी।
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