वाराणसी में गंगा नदी पर एक नए रेल-सह-सड़क सेतु निर्माण को मंजूरी
वाराणसी-पं.दीन दयाल उपाध्याय मल्टीट्रैकिंग के निर्माण को भी मंजूरी
नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज रेल मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दे दी है, जिसकी कुल अनुमानित लागत 2,642 करोड़ रुपये (लगभग) है।यह परियोजना वाराणसी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) जंक्शन के बीच रेल-मार्ग को बहु-ट्रैकिंग (multi-tracking) के माध्यम से सुदृढ़ करने की योजना पर आधारित है, जिसमें 30 किलोमीटर का रेल खंड शामिल होगा।
प्रधानमंत्री के "आत्मनिर्भर भारत" और "पीएम-गतिशक्ति" के लक्ष्यों के अंतर्गत यह परियोजना, भारतीय रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के उद्देश्य से मंजूर की गई है। इसकी कुल अनुमानित लागत 2,642 करोड़ रुपये है और इस परियोजना का फोकस उत्तर प्रदेश के वाराणसी और चंदौली जिलों में भीड़भाड़ को कम करना और रेल यातायात को सुगम बनाना है।
परियोजना का महत्त्व और उद्देश्य
यह रेल खंड तीर्थयात्रा और पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वाराणसी रेलवे स्टेशन और डीडीयू जंक्शन पर यात्री एवं माल यातायात का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
यह परियोजना गंगा नदी पर एक नया रेल-सह-सड़क पुल और नई तीसरी और चौथी रेलवे लाइनों का निर्माण कर भारतीय रेलवे के बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाएगी।
समाजिक-आर्थिक विकास में योगदान
इस परियोजना से क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी, जो प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप है।
परिवहन की क्षमता में वृद्धि से पर्यटन एवं उद्योगों को फायदा होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
पीएम-गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ सामंजस्य
यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करते हुए समन्वित योजना का हिस्सा है, जो वस्तुओं, लोगों और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही को सुविधाजनक बनाएगी।
पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा दक्षता
भारतीय रेलवे परिवहन प्रणाली की पर्यावरणीय अनुकूलता और ऊर्जा की किफायती दर के चलते इस परियोजना का सीधा योगदान पर्यावरण के प्रति भी है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 149 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी, जो छह करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
भीड़भाड़ में कमी और माल ढुलाई का विकास
इस परियोजना के तहत वाराणसी और डीडीयू जंक्शन मार्ग पर भीड़भाड़ में कमी आएगी और लगभग 27.83 एमटीपीए माल ढुलाई की सुविधा मिलेगी।
इसके अलावा, रेलवे द्वारा कोयला, सीमेंट और खाद्यान्न जैसे सामानों का सुगम परिवहन संभव हो सकेगा।
भविष्य के दृष्टिकोण और परिणाम
इस परियोजना के पूरा होने पर रेलवे की परिचालन क्षमता में व्यापक वृद्धि होगी। इसका उद्देश्य भारत को 2047 तक एक आधुनिक और अत्यधिक उत्पादक ऊर्जा परिवहन देश के रूप में स्थापित करना है।
दिल्ली-हावड़ा फ्रेट कॉरिडोर के लिए लाभकारी
माल ढुलाई का दबाव कम करना: यह परियोजना दिल्ली-हावड़ा फ्रेट कॉरिडोर के साथ माल ढुलाई के दबाव को कम करने में मदद कर सकती है, क्योंकि वाराणसी-डीडीयू खंड पर भीड़भाड़ कम होगी। नई ट्रैकिंग सुविधाओं के साथ माल ढुलाई और यात्री गाड़ियों की आवाजाही अधिक सुचारू होगी, जिससे यातायात का संचालन तेज और कुशल होगा।
संयुक्त परिचालन: प्रस्तावित तीसरी और चौथी ट्रैक लाइनें रेलवे को दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के साथ बेहतर समन्वय और संयुक्त परिचालन का अवसर प्रदान करेंगी, जिससे गाड़ियों की समय पर आवाजाही सुनिश्चित होगी और परिचालन लागत कम होगी।
क्षमता में वृद्धि: दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर देश के सबसे व्यस्ततम मालवाहक मार्गों में से एक है, और वाराणसी-डीडीयू परियोजना से इस क्षेत्र में माल ढुलाई की क्षमता 27.83 एमटीपीए तक बढ़ने की संभावना है। इससे दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर यातायात का संतुलन बेहतर होगा और समय पर सामान की डिलीवरी संभव हो सकेगी।
पर्यावरणीय लाभ: यह परियोजना रेल नेटवर्क के पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी होगी, जिससे मालवाहक ट्रकों की आवश्यकता घटेगी और सड़क परिवहन पर निर्भरता कम होगी। इसके परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जो दिल्ली-हावड़ा फ्रेट कॉरिडोर और संपूर्ण रेल नेटवर्क के पर्यावरणीय लक्ष्यों को समर्थन प्रदान करेगा।
विकासशील अवस्थापना: वाराणसी-डीडीयू खंड की ट्रैकिंग और अन्य बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के लिए एक मजबूत सहयोगी बनेंगी, जिससे इस मार्ग पर आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थिरता में सुधार होगा और क्षेत्र में आर्थिक प्रगति भी होगी।