आजादी का अमृत महोत्सव भी नही काम आया गुमनाम आदिवासी नायकों के

आजादी का अमृत महोत्सव भी नही काम आया गुमनाम आदिवासी नायकों के

फ़ोटो-चोपन ब्लाक के दुर्गम ब्रहमोरी के आजादी के गुमनाम नायक कवि बसंत गोड़

नई दिल्ली - उत्तर प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र के अतीत पर नजर डाला जाए तो स्वतंत्रता संग्राम में दर्जनों ऐसे नाम है जिन्होंने अंग्रेजों के साथ बाहर से आए हमलावरों से जमकर मोर्चा लिया, लेकिन सरकारों ने इनके सम्मान के लिए कभी कुछ नही किया।अब आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र सरकार ने देशभर से ऐसे गुमनाम नायकों को खोज निकालने की एक बड़ी मुहिम शुरू की है,लेकिन इस योजना में भी आदिवासियों के लिए पारम्परिक उपेक्षा पूरी तरह कायम है।इस योजना में भी आदिवासी गुमनाम नायकों को अभी तक खोजा नही जा सका है।
 
केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सभी राज्यों को ऐसे एक लाख गुमनाम नायकों की खोज निकालने का लक्ष्य दिया था। मंत्रालय द्वारा गुमनाम नायकों के पहचान के बाद इन्हे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की योजना थी। जिसके बाद सोनभद्र के गुमनाम नायकों के सम्मान का इंतजार खत्म होने की आस थी। देश की आजादी के लिए आदिवासी योद्धा दूरदराज के जंगलों में अंग्रेजो के खिलाफ जबरदस्त मोर्चा खोला था। आम नागरिक इसलिए अनजान है कि सरकारों ने ना तो कभी इनकी सुध ली और ना ही इनके सम्मान की सुरक्षा के लिए कोई योजना चलायी।बहुत से सेनानियों को न तो कोई भी सरकारी सहायता मुहैया कराई गई और ना ही इन्हें धरोहर के तौर पर सजोया गया।अमृत महोत्सव के तहत आई योजना भी प्रशासनिक निष्क्रियता की भेंट चढ़ गयी है। 
 
स्वतंत्रता के लिए जेल की हवा खाई
पिछले कई दशक से आदिवासी समाज गुमनाम नायकों के सम्मान की मांग करता रहा है। ऐसे ही गुमनाम नायकों में 1922 में बीड़र के यीशु मसीह ने 1 वर्ष की सजा भोगी थी ।  दुद्धी के किस्मत राम ने 1942 में, सलखन के शंकर प्रसाद मांझी ने 1942 में, सिल्थम के विष्णु राम धांगर 1941 में, दुद्धी के सुक्खन अली 1921 में,सुखलाल खरवार ने 1930 व 1941 में जेल काटी। चौना के रामेश्वर खरवार 1930 व 1942 में,दुद्धी के भगवती 1941 में, शिवानंद तेली ने 1931 में, जोधन तेली ने 1922 में,राजेश्वर देव 1922 में,बकुलिया के नंद लाल गौड़ 1942 में, मुड़ी सेमर के इंद्रमणि 1942 में, दुद्धी के देव मुनि 1942 में, बैजनाथ के झिगई पनिका ने 1941 में तथा सिल्थम के हरिवंश धांगर ने 1941 में आजादी की लड़ाई में जेल काटने के साथ कठोर कार्रवाई  झेली।ऐसे और दर्जनों नाम है जिनका फिलहाल कोई अता पता ही नहीं है।

 

Latest News

निजीकरण हेतु जारी किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट से बड़े घोटाले की आशंका निजीकरण हेतु जारी किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट से बड़े घोटाले की आशंका
नयी दिल्ली - उत्तर प्रदेश के दो विधुत वितरण निगमों के निजीकरण की चल रही प्रक्रिया में शंकाओं के बादल...
तीसरे पक्ष की संस्थाएँ उपभोक्ताओं की छतों पर सौर संयंत्र स्थापित करेंगी
कुल नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 209.44 गीगावाट तक पहुंची
निजीकरण के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति का टेंडर प्रकाशित, विरोध शुरू
ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने के समाचार से बिजली कर्मियों में बढ़ी नाराजगी
एक बार ऊर्जा निगमों को निजी घरानों को सौंप दिया गया तो पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था का होगा निजीकरण
इरेडा ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में दर्ज की उल्लेखनीय वृद्धि
इरेडा ने समझौता ज्ञापन निष्पादन में लगातार चौथे वर्ष 'उत्कृष्ट' रेटिंग प्राप्त की
एनर्जी टास्क फोर्स की होने वाली बैठक से पहले सीएम योगी की ओर निगाहें
लिथियम के आयात पर निर्भर देशों की ऊर्जा सुरक्षा हो सकती है कमजोर