भारत का परमाणु कार्यक्रम जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए

 भारत का परमाणु कार्यक्रम जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए

नई दिल्ली- केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभारविज्ञान और प्रौद्योगिकीराज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभारपृथ्वी विज्ञानप्रधानमंत्री कार्यालयकार्मिकलोक शिकायत एवं पेंशनपरमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉजितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का परमाणु कार्यक्रम जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए है न कि मानव जीवन को नुकसान पहुंचाने के लिए।
डॉजितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर आधारित डॉहोमी भाभा द्वारा परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से एक लंबी यात्रा तय की है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि डॉभाभा की महान प्रतिज्ञा को "संकल्प से सिद्धिके रूप में नवीनीकृत किया जाए।
डॉजितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग की पुनर्गठित संयुक्त हिंदी सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की।

डॉजितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा और विकिरण के अनुप्रयोगों ने बिजली उत्पादनकृषिचिकित्सास्वास्थ्यखाद्य संरक्षणउन्नत बीज किस्मोंजल शोधन तकनीकीशहरी अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकीरेडियो आइसोटोप के औद्योगिक अनुप्रयोग और विशेष रूप से पेट्रोलियम उद्योग में विकिरण तकनीकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि उन्होंने खेद व्‍यक्‍त किया कि परमाणु ऊर्जा के अधिकांश सामाजिक अनुप्रयोगों के बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है।
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि गामा विकिरण तकनीकी का उपयोग बल्बों व ट्यूबों में अंकुरण को रोकनेअनाजदालों और अनाज में कीट संक्रमण को रोकनेसूखे मसालों के सूक्ष्मजीव परिशोधन (स्वच्छताआदि के लिए किया जाता है। इसके अलावा पूर्व निर्धारित विकिरण खुराकों को लागू करके संरक्षण/शेल्फ जीवन विस्तार के लिए भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएईकोविड बीईईपी जैसे नए नवाचारों के साथ सामने आयाजो कोविड-19 रोगियों के लिए भारत की पहली स्वदेशीकम लागत वाली वायरलेस शारीरिक मापदंडों की निगरानी प्रणाली है।
डॉजितेंद्र सिंह ने कहा कि टाटा सेंटर मुंबई देश भर में कई कैंसर अस्पताल चला रहा हैवह परमाणु ऊर्जा विभाग के तत्वावधान में काम करता है। उन्होंने यह भी बताया कि टाटा ट्रस्ट की सहायता से परमाणु ऊर्जा विभाग और टाटा मेमोरियल सेंटर मिलकर बिहारअसम तथा उत्तराखंड में अतिरिक्त इकाइयां लगा रहे हैं।

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