भारत में जलवायु लचीलापन बढ़ाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन पर चर्चा

भारत में जलवायु लचीलापन बढ़ाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन पर चर्चा

द नेचर कंजरवेंसी इंडिया ने कॉप27 के मौके पर इंडिया पवेलियन में एक कार्यक्रम आयोजित की। चर्चा का विषय था "जलवायु स्मार्ट शहरी विकास: भारत में जलवायु लचीलापन बढ़ाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (ईबीए)। इस कार्यक्रम में दो रिपोर्ट लॉन्च की गई, एक "शहरी आर्द्रभूमि बहाली के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण - सेम्बक्कम झील, चेन्नई, तमिलनाडु का एक केस स्टडी" और दूसरी "चेन्नई के लिए ग्रीनप्रिंट - शहर की योजना के लिए प्राकृतिक अवसंरचना का एकीकरण" पर थी।

भारत सरकार में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने चर्चा में भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा: "जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बढ़ाने वाले बढ़ते शहरीकरण के साथ, यह उचित है कि हम जलवायु अनुकूलन के लिए अपने शहर के मास्टरप्लान में प्राकृतिक आधारभूत संरचना को एकीकृत करें। द नेचर कंज़रवेंसी इंडिया और चेन्नई मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा विकसित किया जा रहा ग्रीनप्रिंट एक उल्लेखनीय उदाहरण है जो इस उद्देश्य के साथ मेल खाता है और तेजी से बढ़ते चेन्नई शहर के लिए अनुकूलन आवश्यकताओं को रेखांकित करता है। मुझे गर्व है कि इस कार्य को कॉप27 के भारतीय पवेलियन में प्रदर्शित किया जा रहा है और यह पर्यावरण के लिए जीवन शैली के भारत के दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित करता है।
जैसा कि हम जलवायु स्मार्ट शहरी विकास के बारे में बात करते हैं, मरुस्थलीकरण का मुकाबला करना एक अन्य महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में आता है। मुझे आज आप सभी के साथ यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत सरकार ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि की सुदृढ़ करने की घोषणा की है।

जैसा कि हम आने वाले दशकों में अपने देश की विकास वृद्धि के अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, भारत का शहरी परिवर्तन इस यात्रा के केंद्र में है। यह परिवर्तन अद्वितीय है क्योंकि यह ऐसे समय में आएगा जब जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के साथ-साथ वैश्विक गति भी बढ़ेगी।"

द नेचर कंजरवेंसी इंडिया के प्रबंध निदेशक डॉ. अन्नपूर्णा वंचेश्वरन ने कहा, “हमारा झील जीर्णोद्धार कार्य पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो जलवायु परिवर्तन के लिए प्रकृति-आधारित समाधान का एक प्रकार है। द नेचर कंजरवेंसी और अन्य संस्थानों के नेतृत्व में किए गए शोध से पता चलता है कि प्रकृति-आधारित समाधान 2030 तक हमारे लिए आवश्यक उत्सर्जन कटौती का एक तिहाई तक प्रदान कर सकते हैं।

 

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