देश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली इकाई चली पूरी क्षमता पर

देश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली इकाई चली पूरी क्षमता पर

नई दिल्ली ,4 अक्टूबर 2022 -उत्तर प्रदेश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली इकाइयों में एक ओबरा तापीय परियोजना की 13 वीं इकाई ने दो माह पहले ही 40 वर्ष की आयु पूरी की है। कई विकट परिस्थितियों से जूझती हुयी इस इकाई ने 03 अक्टूबर 2022 की रात में शत-प्रतिशत क्षमता से उत्पादन किया है । लगभग तीन वर्ष देरी से पूरे हुए अनुरक्षण एवं मरम्मत (आर & एम् ) के बाद पिछले एक वर्ष से पूरी क्षमता से उत्पादन के लिए तरस रही 13 वीं इकाई ने 200 मेगावाट उत्पादन कर सोनभद्र जिले में मौजूद प्रदेश की सबसे पुरानी तापीय परियोजना को नया जीवनदान दिया है। पिछले 55 वर्षों से लगातार विधुत उत्पादन कर उत्तर प्रदेश को प्रकाशमय कर रही ओबरा परियोजना का एक दशक बाद उत्पादन पुनः 1000 मेगावाट होने का रास्ता साफ़ हो गया है। फिलहाल 200 मेगावाट की पाँचों इकाइयां आर एन्ड एम के बाद उत्पादनरत हैं।   

 इस इकाई के पूर्ण क्षमता पर चलने से प्रदेश को सस्ते दरों पर प्रतिवर्ष 1480 मिलियन यूनिट से ज्यादा बिजली मिल सकेगी। जिससे उत्तर प्रदेश राज्य विधुत उत्पादन निगम को प्रति वर्ष लगभग रू 138 करोड़ की आय होगी। वैसे तो 13 वीं इकाई के पूर्ण क्षमता पर चलना पिछले कई वर्षों से धैर्य बनाये स्थानीय परियोजना प्रशासन के लिए बड़ी सफलता थी,लेकिन पिछले एक वर्ष के दौरान उत्पादन क्षमता बढ़ाने के दौरान आयी बड़ी तकनीकी दिक्कतों ने प्रशासन के हाथ बाँध रखें हैं। फिलहाल इस इकाई को निरंतर उत्पादनरत रखना अभी बड़ी चुनौती रहेगी। 

ओबरा की इकाइयों की होती रही है उपेक्षा 

देश की सबसे बड़ी विधुत उत्पादक कम्पनी एनटीपीसी की पहली इकाई से 1982 में उत्पादन शुरू होने से 15 वर्ष पहले से ही ओबरा परियोजना विधुत उत्पादन कर रही है। लेकिन ओबरा की इकाइयों के जीर्णोद्धार को लेकर पिछले दो दशकों से बरती गयी उपेक्षा ने यहाँ की कई ऐतिहासिक इकाइयों को समय से पहले ही इतिहास में दर्ज करा दिया। फिलहाल बंद हो चुकी देश की सबसे पुरानी 50 और 100 मेगावाट वाली इकाइयों में शामिल रही ओबरा की कुल आठ इकाइयां उपेक्षा का बड़ा उदाहरण रही है। 

ओबरा की ही 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों के भेल (बीएचईएल) द्वारा किये गए जीर्णोद्धार की गति ने 13 वीं इकाई से पुनः उत्पादन पर आशंका के बादल पैदा कर दिए थे। पिछले वर्ष से पूरी क्षमता पर उत्पादन का प्रयास लगातार विफल हो रहा था।दिसंबर 2021 में ही इस इकाई को 40 मेगावाट तक लोड पर लाया गया था ,लेकिन इस दौरान टरबाइन में पैदा हुयी दिक्कत सहित कंपन की शिकायत ने स्थिति चिंताजनक कर दी थी। इस स्थिति ने पुनः भेल जैसी प्रतिष्ठित कम्पनी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया था। 13 वीं इकाई को मार्च 2018 में आर & एम  के लिए भेल को सौंपा गया था। इस इकाई के आर & एम पूरा होने की तिथि जून 2019 रखी गयी थी। 

 

 

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