यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम और जल विद्युत निगम के विलय को स्वीकृति

यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम और जल विद्युत निगम के विलय को स्वीकृति

लखनऊ,16 अगस्त 2022-लगभग 22 वर्षों बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम और जल विद्युत निगम के पुनः एक होने का रास्ता साफ़ हो गया है। प्रदेश की योगी सरकार ने इस ऐतिहासिक विलय को स्वीकृति प्रदान की है।

मंत्रिपरिषद ने जवाहरपुर विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड, उत्तर प्रदेश राज्य
विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड तथा उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड के निदेशक मण्डल द्वारा पारित प्रस्ताव पर विचार करते हुए तीनों निगमों के विलय के प्रस्ताव के अनुमोदन के साथ ही, विलय योजना उत्तर प्रदेश विद्युत सुधार (राज्य उत्पादन कम्पनियों का समामेलन एवं विलय) योजना-2021 को अनुमोदित कर दिया है।

मंत्रिपरिषद ने इस विलय योजना के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में अनुषांगिक
कार्यवाही हेतु प्रबन्ध निदेशक, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को अधिकृत करने का भी निर्णय लिया है।

जवाहरपुर विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की स्थापना ताप विद्युत परियोजना
की स्थापना के लिए कम्पनी अधिनियम 1956 के तहत 04 सितम्बर, 2009 को विशेष प्रयोजन उपक्रम के रूप में जवाहरपुर तापीय परियोजना को टैरिफ बेस बिडिंग लगाने के उद्देश्य से की गई थी। कालान्तर में इस परियोजना की स्थापना सार्वजनिक क्षेत्र में किए जाने हेतु ऊर्जा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के पत्र 24 सितम्बर, 2014 द्वारा प्रदत्त सैद्धान्तिक अनुमति के तहत जवाहरपुर विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को अन्तरित कर दिया गया। तदनुसार 16 जून, 2015 से यह उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की सहायक कम्पनी के रूप में कार्यरत हैं।

वर्तमान में निगम की कुल प्रदत्त अंश पूंजी 1596.05 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा धारित हैं।इस प्रस्ताव से राज्य सरकार पर कोई भी व्यय भार नहीं पडे़गा, क्योंकि वर्तमान में कार्यरत विद्यमान कम्पनियों का विलय किया जाना प्रस्तावित है।

शासन के अनुमोदनो परान्त निर्धारित प्रारूप में भारत सरकार के कम्पनी मामलों के मंत्रालय में आवेदन किया जाएगा। कम्पनी मामलों के मंत्रालय में सम्पूर्ण कार्यवाही पूर्ण होने में अनुमानित समय 04 माह तक का रहेगा। प्रस्तावित विलय से कम्पनियों के संचालन में तालमेल, उपव्ययों एवं प्रशासनिक व्यय में कमी, बढ़ी हुई दक्षता और प्रशासनिक नियंत्रण, मशीनरी स्पेयर पार्ट्स आदि सहित संसाधनों का अनुकूलित उपयोग सम्भव हो सकेगा। साथ ही, विद्युत उत्पादन क्षमता 6,134 मेगावॉट से बढ़कर 7,979 मेगावॉट हो जाएगी।

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