2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत विधुत उत्पादन लक्ष्य

2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत विधुत उत्पादन लक्ष्य

नई दिल्ली,3 अगस्त- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यूएनएफसीसीसी) को सूचना दिए जाने के लिए भारत के राष्ट्रीय स्तर पर अद्यतन निर्धारित योगदान (एनडीसी) को मंजूरी दे दी है।  

अद्यतन एनडीसी, पेरिस समझौते के तहत आपसी सहमति के अनुरूप जलवायु परिवर्तन के खतरे का मुकाबले करने के लिए वैश्विक कार्रवाई को मजबूत करने की दिशा में भारत के योगदान में वृद्धि करने का प्रयास करता है। इस तरह के प्रयास, भारत की उत्सर्जन-वृद्धि को कम करने के रास्ते पर आगे बढ़ने में भी मदद करेंगे। यह देश के हितों को संरक्षित करेगा और यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों व प्रावधानों के आधार पर भविष्य की विकास आवश्यकताओं की रक्षा करेगा।

यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यूएनएफसीसीसी) के पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी26) के 26वें सत्र में भारत ने दुनिया के समक्ष पांच अमृततत्व (पंचामृत) पेश किए तथा जलवायु कार्रवाई को तेज करने का आग्रह किया। भारत के मौजूदा एनडीसी का यह अद्यतन स्वरूप, सीओपी 26 में घोषित 'पंचामृत' को उन्नत जलवायु लक्ष्यों में परिवर्तित कर देता है। यह अद्यतन स्वरूप, भारत के 2070 तक नेट-जीरो के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा ।

इससे पहले, भारत ने 2 अक्टूबर, 2015 को यूएनएफसीसीसी को अपना राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रस्तुत किया था। 2015 एनडीसी में आठ लक्ष्य शामिल थे; इनमें से तीन, 2030 तक के लिए संख्या आधारित लक्ष्य हैं, जैसे गैर-जीवाश्म स्रोतों से विद्युत उत्पादन की संचयी स्थापित क्षमता को बढ़ाकर 40 प्रतिशत तक पहुंचाना; 2005 के स्तर की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना और अतिरिक्त वन व वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाईआक्साइड के अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करना।       

अद्यतन एनडीसी के अनुसार, भारत अब 2030 तक 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति की स्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। आज की यह स्वीकृति, गरीबों और कमजोर लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिए टिकाऊ जीवनशैली और जलवायु न्याय के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ाती है। अद्यतन एनडीसी में लिखा है, “जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की कुंजी के रूप में लाइफ’- ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैलीके एक जन-आंदोलन सहित परंपराओं और संरक्षण एवं संयम के मूल्यों पर आधारित जीने के एक स्वस्थ एवं टिकाऊ तौर-तरीकों को आगे बढ़ाने और प्रसारित करने हेतु।" संवर्धित एनडीसी से संबंधित यह निर्णय ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग रखने हेतु उच्चतम स्तर पर भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

 

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