वितरण सुधारों को प्रोत्साहित करने के नाम पर निजीकरण स्वीकार्य नहीं है

वितरण सुधारों को प्रोत्साहित करने के नाम पर निजीकरण स्वीकार्य नहीं है

नई दिल्ली - ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने बजट 2025 पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि वितरण उपयोगिताओं का निजीकरण, वितरण सुधारों को प्रोत्साहित करने के नाम पर स्वीकार्य नहीं है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि दो दिन पहले भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री के नेतृत्व में मंत्री के एक समूह का गठन किया है, जिसमें 6 राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के ऊर्जा मंत्री शामिल हैं ।

कहा कि मंत्रियों के समूह के संदर्भ की शर्तें भी राज्य डिस्कॉम के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार करना और सुधार के उपायों का सुझाव देना है। आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बजट भाषण में भी वितरण सुधारों को प्रोत्साहित करने के लिए कहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि मंत्रियों के समूह के माध्यम से केंद्र सरकार सुधारों को प्रोत्साहित करने के नाम पर राज्य के विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण में तेजी लाना चाहती है।

श्री दुबे ने कहा कि देश भर के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने मुनाफे में चल रहे चंडीगढ़ बिजली विभाग  के निजीकरण के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के माध्यम से अपना गुस्सा दिखाया है। कहा कि निजीकरण के लिए निजीकरण की नीति स्वीकार्य नहीं है और देश भर में 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इन नीतियों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं।

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