जल विद्युत क्षमता के दोहन से भारत की ऊर्जा जरूरतों को लगेगा पंख
पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास पर जोर
जल विद्युत क्षमता का दोहन न केवल पर्यावरण के लिए हितकारी है बल्कि यह ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम है।वैश्विक प्रचलन से कंधे से कंधा मिलाते हुए भारत सरकार ने भी इस क्षेत्र में कई ठोस पहल की हैं, जिनसे देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और साथ ही हरित ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
भारत सरकार ने बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं (25 मेगावाट से अधिक) को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत घोषित किया है। इस पहल से जल विद्युत को सौर और पवन ऊर्जा की श्रेणी में शामिल किया गया है, जिससे यह परियोजनाएं वित्तीय और तकनीकी सहायता के लिए पात्र हो गई हैं। इसके अतिरिक्त, "जल नवीकरणीय ऊर्जा उपभोग दायित्व" नामक योजना लागू की गई है, जिसमें नामित उपभोक्ताओं को जल विद्युत से उत्पन्न ऊर्जा का अनिवार्य रूप से उपयोग करना होगा।जल विद्युत न केवल एक स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा स्रोत है, बल्कि यह बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, और बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सरकार की विभिन्न नीतियों और योजनाओं से यह स्पष्ट है कि भारत जल विद्युत और पंप स्टोरेज परियोजनाओं में अपार संभावनाओं को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऊर्जा क्षेत्र में इन पहलों से न केवल ऊर्जा संकट को हल किया जाएगा बल्कि भारत को वैश्विक हरित ऊर्जा मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान भी मिलेगा।
टैरिफ युक्तिकरण और वित्तीय प्रोत्साहन
जल विद्युत टैरिफ को कम करने के लिए सरकार ने टैरिफ युक्तिकरण के उपाय किए हैं, ताकि यह ऊर्जा स्रोत अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बने। बाढ़ नियंत्रण और जल भंडारण से संबंधित जल विद्युत परियोजनाओं के लिए बजटीय सहायता भी प्रदान की गई है। इसके अंतर्गत, सड़कों, पुलों, रेलवे साइडिंग, और ट्रांसमिशन लाइनों जैसे बुनियादी ढांचे की लागत को भी शामिल किया गया है।
पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास पर विशेष ध्यान
पंप स्टोरेज परियोजनाएं (PSPs) जल विद्युत क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण भाग हैं, जो बिजली भंडारण के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती हैं। अप्रैल 2023 में सरकार ने पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। इन परियोजनाओं को अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली (ISTs) शुल्क से छूट प्रदान की गई है, जो इनकी वित्तीय व्यवहार्यता को और बढ़ाती है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल विद्युत परियोजनाओं का विकास
पूर्वोत्तर भारत की जल विद्युत क्षमता को दोहन करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित कर रही है। इसके तहत जल विद्युत परियोजनाओं के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
जल विद्युत की दोहन योग्य क्षमता और पंप स्टोरेज क्षमता का विवरण
देश में जल विद्युत की दोहन योग्य क्षमता 133.4 गीगावाट (GW) है, जबकि पहचानी गई पंप स्टोरेज क्षमता 181.4 गीगावाट (GW) है। विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों की जल विद्युत और पंप स्टोरेज क्षमता का विवरण निम्नलिखित है:
उत्तरी क्षेत्र
हिमाचल प्रदेश:उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 18,305 मेगावाट और पंप स्टोरेज क्षमता 7,260 मेगावाट
उत्तराखंड: उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 13,481 मेगावाट, पंप स्टोरेज क्षमता 1,000 मेगावाट
उत्तर प्रदेश:उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 502 मेगावाट, पंप स्टोरेज क्षमता 16,620 मेगावाट
पश्चिमी क्षेत्र
महाराष्ट्र: उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 3,144 मेगावाट, पंप स्टोरेज क्षमता 43,405 मेगावाट
मध्य प्रदेश:उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 2,819 मेगावाट, पंप स्टोरेज क्षमता 8,560 मेगावाटदक्षिणी क्षेत्र
कर्नाटक:उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 4,414 मेगावाट, पंप स्टोरेज क्षमता 7,600 मेगावाट
आंध्र प्रदेश: उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 2,596 मेगावाट, पंप स्टोरेज क्षमता 26,420 मेगावाट
पूर्वोत्तर क्षेत्र
अरुणाचल प्रदेश:उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 50,394 मेगावाट, पंप स्टोरेज क्षमता 660 मेगावाट
मेघालय:उपयोग योग्य पारंपरिक जलविद्युत क्षमता 2,026 मेगावाट
सीईए द्वारा अनुमोदित परियोजनाएं
पिछले पांच वर्षों में, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने कुल 9,048 मेगावाट की क्षमता वाली पंप स्टोरेज परियोजनाओं को मंजूरी दी है।आंध्र प्रदेश: पिन्नापुरम (1,200 मेगावाट), अपर सिलेरू (1,350 मेगावाट)हिमाचल प्रदेश: सुन्नी बांध (382 मेगावाट), डुगर (500 मेगावाट)महाराष्ट्र: भिवपुरी (1,000 मेगावाट), भवाली (1,500 मेगावाट)
जल विद्युत और पंप स्टोरेज परियोजनाओं की भविष्य की योजनाएं
जल विद्युत योजनाएंदेश में कुल 8,036 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाओं पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है। इनमें प्रमुख परियोजनाएं अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में हैं।
पंप स्टोरेज परियोजनाएं
देशभर में 60,050 मेगावाट की क्षमता वाली 44 पंप स्टोरेज परियोजनाओं पर काम हो रहा है। इनमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अग्रणी हैं।
उत्तर प्रदेश में पंप स्टोरेज परियोजनाओं की स्थिति और लक्ष्य
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, ऊर्जा जरूरतों के लिए पंप स्टोरेज परियोजनाओं (PSPs) की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। पंप स्टोरेज पावर प्लांट (PSP) अक्षय ऊर्जा का एक ऐसा तंत्र है जो बिजली के अतिशेष का उपयोग करके पानी को ऊंचाई पर स्थित जलाशय में पंप करता है और आवश्यकता के समय इसे छोड़कर बिजली उत्पादन करता है। यह प्रणाली न केवल ऊर्जा भंडारण में मददगार है, बल्कि ग्रिड स्थिरता और ऊर्जा मांग प्रबंधन में भी सहायक है।उत्तर प्रदेश ने जल विद्युत क्षमता और पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास को अपनी ऊर्जा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है। राज्य में कुल 13,020 मेगावाट पंप स्टोरेज क्षमता की पहचान की गई है। इनमें से कई परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जबकि कुछ डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) और प्रारंभिक सर्वेक्षण चरण में हैं।
उत्तर प्रदेश के पंप स्टोरेज परियोजनाओं की स्थिति
प्रमुख परियोजनाएं:
कंधौरा (1680 मेगावाट): यह परियोजना उत्तर प्रदेश में पंप स्टोरेज क्षमता के बड़े हिस्से को कवर करती है।
मूसाखांड़ (600 मेगावाट): इस परियोजना से स्थानीय ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
यूपी01 (3660 मेगावाट): सबसे बड़ी क्षमता वाली इस परियोजना से राज्य की ऊर्जा मांग को स्थिर किया जा सकेगा।
शोमा (2400 मेगावाट): शोमा परियोजना राज्य के पश्चिमी हिस्से में ऊर्जा मांग को पूरा करेगी।
झरिया (1620 मेगावाट): इस परियोजना का फोकस अधिकतर औद्योगिक क्षेत्रों पर है।
चिक्लिक (1560 मेगावाट): इस परियोजना से ऊर्जा भंडारण की कमी को पूरा करने का लक्ष्य है।
पनौरा (1500 मेगावाट): यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।
चुनौतियां:
भूमि अधिग्रहण और विस्थापन। प्रारंभिक फंडिंग और निवेश।तकनीकी अवसंरचना की कमी।पर्यावरणीय स्वीकृति और बायोडायवर्सिटी पर संभावित प्रभाव।
सरकार की पहल:केंद्र सरकार ने इन परियोजनाओं के लिए इंटरस्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) शुल्क माफ करने की योजना बनाई है।उत्तर प्रदेश सरकार ने ऊर्जा कंपनियों और निजी संस्थाओं के सहयोग से इन परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का लक्ष्य रखा है।सड़क, पुल, और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजटीय सहायता का प्रावधान किया गया है।
सोनभद्र: उत्तर प्रदेश का ऊर्जा केंद्र
उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जनपद , जिसे "भारत का ऊर्जा केंद्र" कहा जाता है, न केवल अपने कोयला खदानों और तापीय बिजली संयंत्रों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह पंप स्टोरेज परियोजनाओं का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बन रहा है। सोनभद्र के भौगोलिक और पर्यावरणीय स्वरूप इसे जल विद्युत और पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।
सोनभद्र में पंप स्टोरेज परियोजनाएं
कंधौरा पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट (1680 मेगावाट)
साखांड़ पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट (600 मेगावाट)
शोमा पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट (2400 मेगावाट)
झरिया पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट (1620 मेगावाट)
यूपी01 पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट (3660 मेगावाट)
सोनभद्र का महत्व
सोनभद्र की जलवायु और स्थलाकृति इसे ऊर्जा परियोजनाओं के लिए उपयुक्त बनाती है।पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।इन परियोजनाओं से न केवल सोनभद्र, बल्कि उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों को भी लाभ मिलेगा।
साभार - पीआईबी