टीडीपी1 और सीडीके1: कैंसर उपचार में नई सफलता, भारतीय वैज्ञानिकों की नई खोज
टीडीपी1 और सीडीके1 का संयोजन कैंसर उपचार में एक नई दिशा
भारतीय वैज्ञानिकों ने कैंसर के उपचार में एक बड़ी सफलता हासिल की है। कोलकाता स्थित इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस (IACS) के वैज्ञानिकों ने टीडीपी1 (टायरोसिल-डीएनए फॉस्फोडिएस्टरेज 1) और सीडीके1 (साइक्लिन-डिपेंडेंट किनेज 1) प्रोटीन को कैंसर उपचार के संभावित नए लक्ष्यों के रूप में पहचाना है। इनका संयोजन कैंसर की उन कोशिकाओं को समाप्त कर सकता है जो पारंपरिक उपचारों के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं।यह नई चिकित्सा विधि कैंसर के उपचार में एक नई दिशा खोल सकती है और इस क्षेत्र में सटीक और प्रभावी उपचार के लिए एक आशाजनक मार्ग बन सकती है।
क्या है टीडीपी1 और सीडीके1 का महत्व?
टीडीपी1 एक ऐसा एंजाइम है जो डीएनए क्षति को ठीक करने में सहायक है, जबकि सीडीके1 कोशिका विभाजन के दौरान टीडीपी1 को सक्रिय कर इसे डीएनए मरम्मत प्रक्रिया में प्रभावी बनाता है। इस प्रक्रिया के तहत, वैज्ञानिकों ने यह पाया कि सीडीके1 द्वारा टीडीपी1 का फॉस्फोराइलेशन कैंसर कोशिकाओं को टॉप 1 अवरोधक दवाओं (जैसे कैम्पटोथेसिन, टोपोटेकन, इरिनोटेकेन) से बचने में मदद करता है।
नई चिकित्सा विधि: संयोजन चिकित्सा
प्रोफेसर बेनू ब्रत दास और उनकी टीम ने पाया कि सीडीके1 अवरोधक (जैसे एवोटासिक्लिब, अल्वोसिडिब, रोनिसिक्लिब, रिविसिक्लिब और डिनासिक्लिब) और टॉप 1 अवरोधकों का संयोजन कैंसर उपचार में अत्यधिक प्रभावी हो सकता है। यह संयोजन कैंसर कोशिकाओं की डीएनए मरम्मत प्रक्रिया को बाधित करता है और उनके जीवन चक्र को रोकता है, जिससे उन्हें नष्ट करना अधिक प्रभावी हो सकता है।
सटीक चिकित्सा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
यह खोज कैंसर के उन मामलों के लिए आशा की किरण है जो पारंपरिक उपचारों से ठीक नहीं होते। सीडीके1 और टीडीपी1 को लक्षित करके, यह संयोजन चिकित्सा कैंसर कोशिकाओं की गुणसूत्र स्थिरता को बाधित कर सकता है, जिससे कैंसर का प्रसार रुक सकता है। वर्तमान में इस दृष्टिकोण को आगे के अध्ययन और एनिमल मॉडल में परीक्षण के लिए ले जाया जा रहा है।