कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता अगले दो दशक तक बनी रहेगी

प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद कोयला उत्पादन में 5.85 प्रतिशत की वृद्धि

 कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता अगले दो दशक तक बनी रहेगी

नई दिल्ली- बिजली की बढती मांग को देखते हुए घरेलू कोयले पर आधारित बिजली परियोजनाओं में कोयले के स्टाक में वृद्धि अच्छे संकेत हैं। फिलहाल भारत वर्ष 2032 तक संभावित बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा सहित वैकल्पिक ऊर्जा का हिस्सा बढ़ाने पर भले ही जोर देर रहा हो लेकिन यथार्थ यह है कि कोयला आधारित बिजली पर ही अगले दो दशकों तक निर्भरता बनी रहेगी। 

भारत की वर्तमान कोयला उत्पादन और भंडारण में लगातार वृद्धि को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि कोयला क्षेत्र देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। 2032 तक बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए, कोयले की मांग भी बढ़ेगी, और इसका प्रभावी प्रबंधन देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। कोयला मंत्रालय और कोयला कंपनियों की वर्तमान योजना और प्रयास इस दिशा में सकारात्मक संकेत देते हैं।

वर्तमान कोयला उत्पादन

वित्तीय वर्ष 2024-25 में कोयला मंत्रालय ने 12 सितंबर 2024 तक 411.62 मिलियन टन (MT) कोयला उत्पादन का आंकड़ा हासिल किया, जो पिछले वर्ष के 388.86 मिलियन टन की तुलना में 5.85% अधिक है। इस महत्वपूर्ण वृद्धि को प्रतिकूल जलवायु और खनन कार्यों में आने वाली बाधाओं के बावजूद हासिल किया गया है।

विशेष रूप से, कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने 311 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 302.53 मिलियन टन की तुलना में 2.80% की वृद्धि है। यह प्रदर्शन भारी बारिश के बावजूद उत्कृष्ट है, क्योंकि खनन गतिविधियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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कोयला ढुलाई और भंडारण में वृद्धि

कोयले की ढुलाई में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 (12 सितंबर तक) के दौरान 442.24 मिलियन टन कोयला ढुलाई की गई। यह पिछले वर्ष के 421.29 मिलियन टन से 4.97% अधिक है। इस दौरान बिजली संयंत्रों को कोयला आपूर्ति 362.65 मिलियन टन रही, जो 4.03% की वृद्धि दर्शाती है, जिससे देश की ऊर्जा संबंधी मांगों को पूरा किया जा रहा है।

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कोयले का भंडारण

12 सितंबर 2024 तक, कोयला कंपनियों का कोयला भंडार 76.49 मिलियन टन तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 49.07% की वृद्धि दर्शाता है। इसी अवधि में, घरेलू कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों का कोयला स्टॉक 36.58 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 43.68% की वृद्धि है। यह कोयला क्षेत्र की दक्षता और तैयारियों को दर्शाता है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक है।

भारत की ऊर्जा जरूरतें और 2032 तक कोयले की मांग

भारत की ऊर्जा जरूरतें तेजी से बढ़ रही हैं। आर्थिक विकास, शहरीकरण और औद्योगिक गतिविधियों में विस्तार के साथ, बिजली की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। वर्तमान में, भारत की बिजली उत्पादन क्षमता में 55-60% हिस्सा कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से आता है। ऐसे में भारत की 2032 तक की बिजली की अनुमानित मांग के आधार पर कोयले की आवश्यकताएं काफी बढ़ जाती है। 

 बिजली की मांग
IEA (International Energy Agency) और अन्य अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा रिपोर्टों के अनुसार, 2032 तक भारत की बिजली की मांग 3000-3500 TWh (टेरावाट घंटे) तक पहुंच सकती है। यह 2024 की मौजूदा मांग से लगभग 50-60% की वृद्धि दर्शाती है।

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कोयले की मांग
वर्तमान ऊर्जा उत्पादन में कोयले की भूमिका को देखते हुए, 2032 तक कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए 1200-1500 मिलियन टन कोयले की आवश्यकता होगी। यह अनुमानित मांग इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत ऊर्जा मिश्रण में किस हद तक नवीकरणीय स्रोतों को शामिल करता है।

 

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कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का भविष्य
2032 तक, यह अनुमान है कि कोयला आधारित बिजली उत्पादन अभी भी प्रमुख रहेगा, हालांकि सौर, पवन, और जल विद्युत का भी योगदान बढ़ेगा। फिर भी, कोयले पर निर्भरता निकट भविष्य में समाप्त नहीं होगी, क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि के बावजूद कोयले का हिस्सा लगभग 45-50% तक बना रहेगा।

 

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