कीमोथेरेपी की खुराक को कम करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम
कैंसर उपचार में ऊष्मा-आधारित नया दृष्टिकोण
नई दिल्ली-नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली के वैज्ञानिकों ने कैंसर उपचार के लिए एक नवीन ऊष्मा-आधारित दृष्टिकोण विकसित किया है, जो कीमोथेरेपी की खुराक को कम करने में सक्षम है। इस नई विधि में चुंबकीय हाइपरथर्मिया-आधारित कैंसर थेरेपी (एमएचसीटी) के साथ हीट शॉक प्रोटीन 90 निरोधक (एचएसपी90i) का उपयोग किया गया है, जिससे उपचार की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।
नैनो थेरेपी: कम दुष्प्रभावों के साथ प्रभावी उपचार
कैंसर की बढ़ती दरों के साथ, पारंपरिक उपचार जैसे कीमोथेरेपी और सर्जरी में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें दवा प्रतिरोध और गंभीर दुष्प्रभाव प्रमुख हैं। इस स्थिति का समाधान खोजने के लिए, वैज्ञानिक नैनो थेरेपी जैसी उन्नत तकनीकों का विकास कर रहे हैं, जो कम दुष्प्रभावों के साथ अधिक प्रभावी उपचार प्रदान करती है।
चुंबकीय हाइपरथर्मिया और कीमोथेरेपी का संयोजन
इस नए दृष्टिकोण में अल्ट्रा-छोटे चुंबकीय नैनो कणों (MDs) को एक वैकल्पिक चुंबकीय क्षेत्र (एएमएफ) के संपर्क में लाया गया, जो ट्यूमर से प्रभावी ढंग से लड़ने में सक्षम होते हैं। इस संयुक्त चुंबकीय हाइपरथर्मिया और कीमोथेरेपी (एमएचसीटी) दृष्टिकोण से कीमोथेरेपी की आवश्यक खुराक को कम किया जा सकता है, जिससे उपचार न केवल सुरक्षित होता है, बल्कि अधिक प्रभावी भी बनता है।
प्रभावी परिणाम और आगे की राह
पशु मॉडल पर किए गए परीक्षणों में चूहों के ग्लियोमा ट्यूमर में 65% तक की प्राथमिक ट्यूमर निरोधी दर प्राप्त हुई है। यह अध्ययन अत्यधिक प्रभावी और कम चीरफाड़ वाली कैंसर उपचार विधियों का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, जिससे लाखों रोगियों को लाभ मिल सकता है।
इस उन्नत चिकित्सा के नैदानिक अनुप्रयोग को साकार करने के लिए वैश्विक शोध की आवश्यकता है। यह अध्ययन न केवल कैंसर के उपचार को अधिक कुशल और सहनीय बना सकता है, बल्कि इससे हाइपरथर्मिया-आधारित उपचारों के लिए नई संभावनाएं भी उभर सकती हैं।
प्रकाशन लिंक: एसीएस नैनो
स्रोत: पीआईबी दिल्ली