उपभोक्ताओं को स्पैम और धोखाधड़ी से बचाने के लिए बनी रणनीति

अनचाहे कॉल्स और मैसेज से मिलेगी राहत

उपभोक्ताओं को स्पैम और धोखाधड़ी से बचाने के लिए बनी रणनीति

नई दिल्ली- भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने उपभोक्ताओं को स्पैम और धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की है। इस रणनीति का उद्देश्य एक अधिक सुरक्षित और कुशल दूरसंचार परिवेश सुनिश्चित करना है। ट्राई ने 27 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में विनियामकों की संयुक्त समिति (जेसीओआर) की बैठक बुलाई। इस बैठक में भाग लेने वाले जेसीओआर के सदस्‍यों में आईआरडीएआई, पीएफआरडीए, आरबीआई, सेबी, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, इले‍क्‍ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और ट्राई के प्रतिनिधि शामिल थे। इसके अलावा दूरसंचार विभाग और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए।

जेसीओआर डिजिटल युग में नियामकीय निहितार्थों की जांच करने और नियामकीय ढांचे पर साथ मिलकर काम करने के लिए एक सहयोगी प्‍लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है। ट्राई के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी ने अपने संबोधन में स्पैम मैसेज एवं अनचाही कॉल की समस्या से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।

ट्राई ने उठाये ये कदम 

  1. यूआरएल, एपीके, ओटीटी लिंक, और कॉल बैक नंबर की व्हाइटलिस्टिंग: ट्राई ने अनचाहे वाणिज्यिक संचार (UCC) और धोखाधड़ी से निपटने के लिए इन लिंक और नंबरों की अनिवार्य व्हाइटलिस्टिंग की जरूरत पर जोर दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रेषक से प्राप्तकर्ता तक सभी मैसेजों की पहचान की जा सके, जिससे हेडर और टेम्प्लेट के दुरुपयोग को रोका जा सके।

  2. टेलीमार्केटर्स की पूरी श्रृंखला की घोषणा: ट्राई ने पीई-टीएम चेन बाइंडिंग के लिए नियोजित टेलीमार्केटर्स की पूरी श्रृंखला की घोषणा को अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। इससे उपभोक्ताओं को भेजे जाने वाले मैसेज और कॉल्स की पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

  3. 140 श्रृंखला में प्रोमोशनल कॉल करने वाले मौजूदा टेलीमार्केटर्स का स्थानांतरण: ट्राई ने उन संस्थाओं को 140 श्रृंखला में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है जो एसआईपी/पीआरआई लाइनों का उपयोग करके वाणिज्यिक वॉयस कॉल्स करती हैं। यह कदम स्पैम कॉल्स की संख्या को कम करने में मदद करेगा।

  4. डिजिटल सहमति प्रणाली (DCA): ट्राई ने उपभोक्ताओं से डिजिटल सहमति लेने के लिए DCA प्रणाली का उपयोग करने पर जोर दिया है। यह प्रणाली न केवल मैसेजिंग सेवाओं के लिए, बल्कि वॉयस कॉल्स के लिए भी उपयोगी साबित होगी, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक नियंत्रण मिलेगा।

  5. 160 श्रृंखला का उपयोग: सेवाओं और लेन-देन संबंधी कॉल्स के लिए 160 श्रृंखला का उपयोग करना सुनिश्चित किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए इन कॉल्स की पहचान करना आसान हो जाएगा।

  6. नियामकों के बीच सूचना का आदान-प्रदान: ट्राई ने धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न नियामकों के बीच सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है। इससे नियामकीय ढांचे में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को अधिक सुरक्षा मिलेगी।

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