देश में यूपी के गाँव में होती है सबसे कम बिजली आपूर्ति

ग्रामीण आपूर्ति में छह घंटे प्रतिबन्ध की नीति बनी समस्या

देश में यूपी के गाँव में होती है सबसे कम बिजली आपूर्ति

नई दिल्ली-देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी देश में सबसे कम बिजली आपूर्ति हो रही है। तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले छह वर्षों से यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में औसत विधुत आपूर्ति 18 घंटे प्रतिदिन के आस-पास बनी हुयी है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत 21.7 घंटे पहुँच चुका है। यहाँ तक कि बिहार,झारखण्ड एवं मध्यप्रदेश भी यूपी से दो घंटे ज्यादा बिजली अपने ग्रामीण क्षेत्रों को दे रहे हैं। अभी भी आयात की गयी बिजली पर यूपी की निर्भरता ने ग्रामीण क्षेत्रों की आपूर्ति समय बढ़ाने में प्रदेश सरकार के क़दमों को रोक रखा है।

यूपी सरकार द्वारा नये उत्पादन बढ़ाने को लेकर प्रयास जारी है लेकिन अभी भी 60 फीसद से ज्यादा बिजली यूपी को आयात करनी पड़ रही है। ऐसे में फिलहाल बिजली खरीदारी बढ़ाने के अलावा यूपी सरकार के पास ज्यादा विकल्प नहीं है। हालाकि कोरोना काल के दौरान जब औधोगिक गतिविधियाँ काफी कम थी तब वर्ष 2019-20 में ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन प्रतिदिन 18:58 घंटे आपूर्ति हुयी थी। 


वर्ष 2023-24 में हुयी 18.1 घंटे आपूर्ति

वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में विद्युत आपूर्ति का औसत 18.1 घंटे रहा। ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपाद नाइक द्वारा पिछले दिनों राज्यसभा में दी गयी जानकारी के अनुसार वर्ष 2022-23 में और बुरी हालत रही। वर्ष 2023-24 में मात्र 17.4 घंटे/प्रतिदिन ही आपूर्ति हुयी। जबकि वर्ष 2023-24 में औसत तौर पर प्रतिदिन बिहार में 22.2 घंटे छतीसगढ़ में 21.6 घंटे,मध्यप्रदेश में 22.6 घंटे, उत्तराखंड में 21.4 घंटे एवं राजस्थान में 21.7 घंटे आपूर्ति की गयी। वहीँ बड़े राज्यों में 23.8 घंटे के साथ महाराष्ट्र पहले स्थान पर, गुजरात 23.7 घंटे,आंध्रप्रदेश 23.6 घंटे, तमिलनाडु 23.5 घंटे एवं पश्चिम बंगाल ने 23.4 घंटे प्रतिदिन आपूर्ति किया।

देश में सबसे ज्यादा बिजली की मांग यूपी में

देश में सबसे ज्यादा आबादी वाले सूबे के सभी घ्र्रों तक अपेक्षित बिजली पहुँचाना बड़ी चुनौती रही है। वर्ष 2010 में यूपी में बिजली की अधिकतम मांग जहाँ 11 हजार मेगावाट से कम थी वहीँ वर्ष 2024 में यह 31000 मेगावाट को पार कर गयी है। इतनी मांग को पूरा करने में प्रदेश सरकार को भारी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर के अनुसार प्रदेश में अपेक्षित उत्पादन नहीं होने के बावजूद प्रदेश सरकार ने रिकार्डतोड़ विधुत आपूर्ति की है। यूपी ने 2024 में 30 हजार मेगावाट विधुत आपूर्ति कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है। यूपी 30 हजार मेगावाट से ज्यादा विद्युत आपूर्ति करने वाला देश का पहला प्रदेश है। उसके बावजूद अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति पर छह घंटे के प्रतिबन्ध ने कम आपूर्ति को स्थायी कर दिया है।

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ओबरा विधुत घर (फ़ाइल)

 

भारत सरकार के प्रयास  

भारत सरकार ने राज्यों को घरों में निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता करने के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस), प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) आदि जैसी योजनाएं शुरू कीं।ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपाद नाइक के अनुसार राज्यों में वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए 1.85 लाख करोड़ रुपये  की परियोजनाएं चलाई गई हैं, जिसमें नए सबस्टेशन लगाने, उन्हें अपग्रेड करने, नई एचटी और एलटी लाइनें और अपग्रेडशन, कृषि फीडर पृथक्करण, एरियल बंच्ड केबल और भूमिगत केबलिंग आदि जैसे कार्य शामिल हैं। कुल 18,374 गांवों का विद्युतीकरण किया गया। डीडीयूजीजेवाई के तहत और सौभाग्य के दौरान 2.86 करोड़ घरों का विद्युतीकरण किया गया।

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वित्तीय मजबूती की योजना

भारत सरकार ने वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार लाने के उद्देश्य से संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) शुरू की। इस योजना का परिव्यय 3,03,758 करोड़ रुपये है और  2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि में भारत सरकार से  97,631 करोड़ रु. की सकल बजटीय सहायता के साथ इसे पूरा किया जाना है। 2.62 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं योजना के तहत वितरण बुनियादी ढांचे के कार्यों और स्मार्ट मीटरिंग कार्यों के लिए मंजूर की गई हैं।

 

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