2030 तक 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य

 2030 तक 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य

नई दिल्ली- कोयला मंत्रालय ने कोयला निकासी अवसंरचना को मजबूत करने के लिए एक व्यापक रणनीति की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य 2047 तक एक विकसित भारत बनाने में योगदान करना है। इस पहल के तहत, मंत्रालय रेल मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ मिलकर लॉजिस्टिक्स परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाएगा। प्रमुख उद्देश्यों में कोयला परिवहन की कुशलता बढ़ाना, मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग सुविधाएं स्थापित करना, और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना शामिल है। इन पहलों से 2030 तक 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पादन और रेल परिवहन को 75% तक बढ़ाने का लक्ष्य है।

रेल परिवहन में मॉडल बदलाव: वित्त वर्ष 2030 तक कोयले के लिए रेल परिवहन के मॉडल हिस्से को 64 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करना, जिससे सड़क की भीड़ कम हो और पर्यावरणीय स्थिरता बढ़े। मंत्रालय ने 38 प्राथमिकता वाली रेल परियोजनाओं की पहचान की है, जिन्हें रेल मंत्रालय के साथ निकट समन्वय में तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। ये परियोजनाएं रेल संपर्क में सुधार और देश भर में बिजली संयंत्रों और उद्योगों को समय पर कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

अनिवार्य मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग सुविधाएं: प्रति वर्ष 2 मिलियन टन से अधिक उत्पादन करने वाली सभी बड़ी कोयला खदानों को अगले पाँच वर्षों के भीतर मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग सुविधाओं को उपलब्ध कराना होगा। इस कदम का उद्देश्य परिचालन दक्षता को बेहतर बनाना, सुरक्षित कार्य परिस्थितियां सुनिश्चित करना और कोयला परिवहन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।

एकीकृत अवसंरचना विकास: पीएम गति शक्ति पहल के जरिये मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने से निर्बाध कोयला निकासी के लिए विभिन्न मंत्रालयों में समन्वित प्रयास को सुनिश्चित करना।

स्थायित्व और पर्यावरणीय विचार: मंत्रालय कोयला निकासी के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने तथा भारत के जलवायु लक्ष्यों के साथ संरेखित स्वच्छ प्रौद्योगिकीयों और प्रथाओं को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।(PIB)

 

 

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