बायोमास पेलेट विनिर्माण इकाइयों के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता की दर में संशोधन

बायोमास पेलेट विनिर्माण इकाइयों के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता की दर में संशोधन

नई दिल्ली-बायोमास वानिकी अपशिष्ट, कृषि कार्यों से बचे अवशेषों, उद्योग से प्रसंस्कृत अपशिष्ट, नगरपालिका/शहरी ठोस अपशिष्ट के रूप में उपलब्ध है। देश में सालाना लगभग 750 एमएमटी बायोमास उत्पादन होता है, जिसमें से 228 एमएमटी अधिशेष बायोमास है। बायोमास का उपयोग विभिन्न स्‍वरूपों जैसे ऊष्मा एवं ऊर्जा, ब्रिकेट/पेलेट आदि के उत्पादन में किया जा सकता है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 02.11.2022 को वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम (एनबीपी) अधिसूचित किया था। एनबीपी के घटकों में से एक 'देश में उद्योगों में ब्रिकेट एवं पेलेट और बायोमास (गैर-खोई) आधारित सह-उत्पादन के विनिर्माण को बढ़ावा देने'  में सहायता प्रदान करने की योजना है।

इस योजना के अंतर्गत, ब्रिकेट/पेलेट विनिर्माण संयंत्र के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) अधिकतम 45.0 लाख रुपये प्रति परियोजना सहित 9.0 लाख रुपये/एमटीपीएच थी। हालांकि, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने अब 16.07.2024 से टॉरफाइड पेलेट विनिर्माण संयंत्र घटक को शामिल करने वाले पेलेट विनिर्माण संयंत्रों के लिए सीएफए की दर में संशोधन किया है।

गैर-टोरिफाइड पेलेट विनिर्माण संयंत्र के लिए अधिकतम 105 लाख रुपये प्रति परियोजना सहित 21.0 लाख रुपये/ एमटीपीएच उत्पादन क्षमता है और टॉरफाइड पेलेट विनिर्माण संयंत्र के लिए अधिकतम 210 लाख रुपये प्रति परियोजना या 1 एमटीपीएच संयंत्र के संयंत्र और मशीनरी के लिए पूंजीगत लागत का 30 प्रतिशत, दोनों घटकों के मामले में जो भी कम हो, सहित 42.0 लाख रुपये/एमटीपीएच है।

सीएफए में संशोधन से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में धान की पराली के उपयोग सहित देश में बायोमास का उपयोग बढ़ेगा तथा पराली नहीं जलाने से वायु की गुणवत्ता का प्रबंधन करने में योगदान मिलेगा।

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