एसजेवीएन की 50 मेगावाट की सौर परियोजना असम के सोनितपुर जिले में स्थापित होगी
सोनितपुर-असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने आज एसजेवीएन की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एसजीईएल) द्वारा असम के सोनितपुर में विकसित की जा रही 50 मेगावाट की सौर परियोजना का भूमि पूजन समारोह किया। 50 मेगावाट की सौर परियोजना सोनितपुर जिले के ढेकियाजुली राजस्व क्षेत्र के अंतर्गत बरसोला ब्लॉक के सीतलमारी गांव में विकसित की जा रही है। इसे 291 करोड़ की अनुमानित लागत से बनाया जाएगा। परियोजना पहले वर्ष में 101 मिलियन यूनिट ग्रीन ऊर्जा उत्पन्न करेगी और 25 वर्षों की अवधि में कुल लगभग 2,319 मिलियन यूनिट ऊर्जा उत्पादन होगा। पैदा हुई ऊर्जा असम पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को 3.92 रुपए प्रति यूनिट में सप्लाई की जाएगी।
असम सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्री अशोक सिंघल; तेजपुर सांसद पल्लब लोचन दास; बरचल्ला से विधायक श्री गणेश कुमार लिम्बु; भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अजय तिवारी; निदेशक (वित्त), एसजेवीएन, अखिलेश्वर सिंह; सीईओ, एसजीईएल, अजय सिंह; और एमडी, एपीडीसीएल, श्री राकेश कुमार भूमि पूजन समारोह में उपस्थित थे।
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन, श्रीमती गीता कपूर ने बताया कि एसजेवीएन ने असम में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है और एसजेवीएन की नवीकरणीय शाखा एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एसजीईएल) 200 मेगावाट, 70 मेगावाट और 50 मेगावाट क्षमता की तीन सौर परियोजनाएं विकसित कर रही है, इस प्रकार राज्य में कुल 320 मेगावाट बिजली क्षमता होगी। इनमें असम के धुबरी में 70 मेगावाट की सौर परियोजना की आधारशिला 4 मार्च, 2024 को प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई थी।
एसजेवीएन लिमिटेड, भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक मिनी रत्न-श्रेणी-I और अनुसूची-'ए' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम ने 24 मई, 1988 को भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार के एक संयुक्त उद्यम के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी।
इस लिस्टेड कंपनी एसजेवीएन ने कुल 2377 मेगावाट की स्थापित क्षमता और 123 किमी ट्रांसमिशन लाइनों की तेरह परियोजनाएं शुरू की हैं। एसजेवीएन ने ऊर्जा के लगभग सभी रूपों यानी हाइड्रो, थर्मल, पवन, सौर, पावर ट्रेडिंग और ट्रांसमिशन में विविधता ला दी है।
आगे का एसजेवीएन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 25,000 मेगावाट स्थापित क्षमता और वर्ष 2040 तक 50,000 मेगावाट स्थापित क्षमता के साझा दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करके बढ़ना है। यह साझा दृष्टिकोण सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप तैयार किया गया है। भारत वर्ष 2030 तक अपनी 50% बिजली क्षमता गैर-जीवाश्म-ईंधन-आधारित ऊर्जा स्रोतों से करेगा।