प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री ने कहा कि दिबांग बांध देश का सबसे ऊंचा बांध होगा

प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रखी

ईटानगर-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 09 मार्च, 2024 को अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में “विकासशील भारत विकास पूर्वोत्तर कार्यक्रम” में अरुणाचल प्रदेश की निचली दिबांग घाटी जिले में एनएचपीसी लिमिटेड की 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में लगभग 55,600 करोड़ रुपये की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। इन विकास परियोजनाओं में अन्य के अलावा रेल, सड़क, स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा, सीमा अवसंरचना, आईटी, बिजली, तेल एवं गैस जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक; अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू और अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री चौना मीन भी शामिल हुए।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने आज अरुणाचल प्रदेश में दिबांग बहुउद्देशीय पनबिजली परियोजना और त्रिपुरा में सौर ऊर्जा परियोजना की शुरुआत होने की बात की। प्रधानमंत्री ने उत्तर-पूर्व के सबसे ऊंचे पुल और सबसे ऊंचे बांध को देश के नाम समर्पित करने का उल्लेख करते हुए कहा कि दिबांग बांध देश का सबसे ऊंचा बांध होगा।

दिबांग परियोजना की लागत 31,875 करोड़ रुपये से ज्यादा है और यह देश का सबसे ऊंचा बांध होगा। यह विद्युत उत्पन्न करेगा, बाढ़ नियंत्रण में मदद करेगा और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर और सामाजिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना अरुणाचल प्रदेश के निचली दिबांग घाटी जिले में मुनली गांव के समीप बनेगी। यह बांध 278 मीटर ऊंचा बांध है, जो भारत का सबसे ऊंचा कंक्रीट-ग्रेविटी बांध होगा। बांध का निर्माण रोलर कॉम्पैक्टेड कंक्रीट (आरसीसी) तकनीक से किया जाएगा और यह दुनिया का सबसे ऊंचा आरसीसी बांध होगा। दिबांग बांध का लक्ष्य एक महीने में 5 लाख क्यूबिक मीटर से ज्यादा कंक्रीट का शिखर स्थापित करना है, जो दुनिया में पहली बार होगा।

यह परियोजना प्रति वर्ष 11,223 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पन्न करेगी, जिससे स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा प्राप्त होगी जिसे उत्तरी ग्रिड में फीड किया जाएगा। 108 महीने की निर्माण अवधि के साथ, यह परियोजना फरवरी 2032 में चालू होने वाली है। इसमें निर्माण के दौरान 500 लोगों को और संचालन होने के दौरान 300 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करने की क्षमता है।

दिबांग परियोजना अरुणाचल प्रदेश में विकास के लिए 12% मुफ्त विद्युत और स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के लिए अतिरिक्त 1% मुफ्त विद्युत प्रदान करेगी। यह परियोजना राज्य और देश के नेट जीरो लक्ष्य को आगे बढ़ने में मदद करेगी।

इस परियोजना को ऊर्जा भंडारण परियोजना के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसके प्रमुख उद्देश्यों में विद्युत उत्पादन के अलावा बाढ़ नियंत्रण शामिल है। बाढ़ नियंत्रण करने के लिए, मानसून में जलाशय को पूर्ण जलाशय स्तर से नीचे रखकर 1,282.60 मिलियन क्यूबिक मीटर की क्षमता स्थापित की जाएगी।

Related Posts

Latest News

भारत का सतत ऊर्जा भविष्य: 20% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य के बाद की योजना भारत का सतत ऊर्जा भविष्य: 20% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य के बाद की योजना
नई दिल्ली- भारत ने स्थायी ऊर्जा समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री...
ओवरबर्डन प्रबंधन: कोयला खनन में पर्यावरणीय और आर्थिक स्थिरता के लिए एचपीईसी रिपोर्ट
वैश्विक बाजार में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों को लेकर बढ़ रहा है संघर्ष
हाइपरयूनिफॉर्मिटी: ऑप्टिकल डेटा ट्रांसमिशन और जैविक प्रक्रियाओं में क्रांतिकारी तकनीक
भारत की 200 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता का महत्वपूर्ण मील का पत्थर
वाराणसी में गंगा नदी पर एक नए रेल-सह-सड़क सेतु निर्माण को मंजूरी
पर्यावरण को एंटीबायोटिक संदूषण से बचाने की दिशा में बड़ी उपलब्धि
क्रिस्टल संरचना में बदलाव से उर्जा क्षेत्र में नई क्रांति
सौर ऊर्जा में 500 करोड़ रुपये के नवाचार परियोजनाओं को मिला बढ़ावा
टीडीपी1 और सीडीके1: कैंसर उपचार में नई सफलता, भारतीय वैज्ञानिकों की नई खोज