बिजली उत्पादन में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर
नई दिल्ली-सबसे ज्यादा आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश में बिजली की बढ़ती मांग ने यहाँ के बिजली घरों पर उत्पादन का अतिरिक्त दबाव बनाया है ।उत्तर प्रदेश में मौजूद केंद्रीय,राज्य एवं प्राइवेट सेक्टर के बिजली घरों ने लगातार दूसरे वित्तीय वर्ष में बिजली उत्पादन में शीर्ष स्थान बरकरार रखा है ।यूपी के बिजली घरों के उत्कृष्ट प्रदर्शन से दूसरे प्रदेशों को भी बिजली संकट दूर करने में मदद मिली है। खासकर यूपी को भी केंद्रीय पूल से अभूतपूर्व बिजली मिल रही है।
चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के अक्टूबर माह तक यूपी, बिजली उत्पादन में देश के दूसरे प्रदेशों के सापेक्ष सबसे ज्यादा बिजली पैदा की है ।यूपी ने इस दौरान 99968.15 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की है। वहीँ अक्टूबर तक महाराष्ट्र ने 98334.71 एमयू,छत्तीसगढ़ ने 95742.91 एमयू तथा गुजरात ने 80347.46 एमयू बिजली उत्पादन किया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में ही यूपी 163447.06 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन कर शीर्ष पर पहुंचा था।
यूपी में 8760 मेगावाट की हुयी क्षमता वृद्धि
पिछले नौ वर्षों में यूपी में कुल स्थापित क्षमता में 8760 मेगावाट की वृद्धि हुयी है। जिसके कारण उत्पादन में भारी वृद्धि दर्ज हो रही है।जल्द ही कोयला आधारित निर्माणाधीन इकाइयों से उत्पादन शुरू होने के साथ यूपी के शीर्ष में बने रहने में मदद मिलेगी। केंद्रीय बिजली एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने संसद में बताया कि भारतीय बिजली क्षेत्र ने पिछले दशक में एक लंबा सफर तय किया है, जिसने भारत को बिजली की कमी से बिजली अधिशेष देश में बदल दिया है। 2014-15 की अवधि के दौरान, हमने देश में पारंपरिक बिजली क्षेत्र में, 97501.2 मेगावाट और 96282.9 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी है। हमने उत्पादन क्षमता को मार्च 2014 के 248,554 मेगावाट से 70 प्रतिशत बढ़ाकर अक्टूबर 2023 में 425,536 मेगावाट कर दिया है।
वितरण प्रणाली को मजबूत किया गया
केंद्रीय बिजली एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया कि हमने पिछले नौ वर्षों में 187849 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें जोड़ी है, जो पूरे देश को एक फ्रीक्वेंसी पर चलने वाले एक ग्रिड से जोड़ती हैं। इससे हम 116540 मेगावाट को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक ले जाने में सक्षम हुए हैं। हमने डीडीयूजीजेवाई/आईपीडीएस/सौभाग्य के तहत 1.85 लाख करोड़ की परियोजनाओं को लागू करके तथा 2927 उप-केंद्रों का निर्माण, 3964 उप-केंद्रों का उन्नयन और 8.86 लाख सर्किट किलोमीटर एचटी/एलटी लाइनें जोड़कर वितरण प्रणाली को मजबूत किया। परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता 2015 में 12 घंटे से बढ़कर 2023 में 20.6 घंटे हो गई है।
बताया कि शहरी क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता 23.6 घंटे है। ऊर्जा मांग और ऊर्जा आपूर्ति के बीच का अंतर 2013-14 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 0.3 प्रतिशत हो गया है। यहां तक कि ऊर्जा आवश्यकता और आपूर्ति की गई ऊर्जा के बीच यह अंतर आम तौर पर राज्य ट्रांसमिशन/वितरण नेटवर्क में बाधाओं और डिस्कॉम की वित्तीय बाधाओं आदि के कारण होता है।