स्टेम स्तर पर लैंगिक असमानता वैश्विक चिंता का विषय

स्टेम स्तर पर लैंगिक असमानता वैश्विक चिंता का विषय

डॉक्टरेट स्तर पर भौतिक विज्ञान में लैंगिक असमानता को कम करने के मुद्दे पर पहल विज्ञान-विदूषी 2023 कार्यक्रम आज से मुंबई स्थित होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र(एचबीसीएसई) में प्रारंभ हुआ। देश भर के 40 विभिन्न संस्थानों से भौतिक विज्ञान में प्रथम वर्ष एमएससी पूर्ण करने वाली 40 महिला विद्यार्थी कार्यक्रम में शामिल हो रही हैं। यह कार्यक्रम उन्हें उच्च श्रेणी के भौतिक विज्ञान पाठ्यक्रमों के प्रति दिशा प्रदान देगा और मौलिक प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करेगा।

टाटा इंस्टीटयूट आफ फन्डामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) अपने होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र(एचबीसीएसई) द्वारा वर्ष 2020 में एमएससी स्तर पर भौतिक विज्ञान का अध्ययन करने वाली महिला विद्यार्थियो के लिए तीन सप्ताह के ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम विज्ञान विदूषी की शुरूआत की गई थी। कोविड महामारी के समय प्रारंभ हुए इस कार्यक्रम का आयोजन पहली बार आवासिक आधार पर 12 जून से 1 जुलाई,2023 तक एचबीसीएसई में किया जा रहा है।

विज्ञान विदूषी-2023 कार्यक्रम की संयोजक प्रोफेसर वंदना ननल(टीआईएफआर) ने छात्राओं का परिचय कार्यक्रम की अवधारणा से कराया। इसके बाद प्रोफेसर अनवेश मजूमदार ने कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण दिया।

प्रोफेसर ननल ने बताया कि स्टेम (विज्ञान,प्रौद्योगिकी,इंजीनियरिंग और गणित) में लैंगिक असमानता वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय है और वैश्विक स्तर पर महिला विद्यार्थियों का विशेष तौर पर प्राकृतिक विज्ञान,गणित और सांख्यिकी में नामांकन 5 प्रतिशत से भी कम है। भारत में भौतिक विज्ञान में लैंगिक असमानता अत्यधिक है। भारत में प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों के चुने हुए भौतिक विज्ञान विभागों के सर्वेक्षण से पता चला कि डॉक्टरेट स्तर पर महिला छात्राओं की संख्या 23 प्रतिशत से कम है। यह समस्या जटिल है और इसके लिए बहुस्तरीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। आज प्रतिपालक और नेटवर्किंग कौशल की आवश्यकता है और विज्ञान शिक्षा में लैंगिक जागरुकता को सम्मिलित करना होगा। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षणो में भी प्रमुखता से सामने आया है और इसकी सिफारिश भारत सरकार के विज्ञान और प्रौदयोगिकी विभाग ने भी की है। प्रोफेसर ननल ने कहा कि विशेष रुप से  केवल महिला विद्यार्थियो के लिए बनाया गया विज्ञान विदूषी कार्यक्रम भारत में विज्ञान में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व की समस्या को समाधान करने के लिए उठाया गया एक छोटा, लेकिन प्रभावी कदम है।

कार्यक्रम के सह संयोजक प्रोफेसर अनवेश मजूमदार ने बताया कि कार्यशाला की प्रमुख विशेषताएं भौतिक विज्ञान में अनुसंधान को कैरियर बनाने पर संवादात्मक मार्गदर्शक सत्र,प्रमुख महिला वैज्ञानिकों द्वारा व्याख्यान, समूह चर्चा,आत्मविश्वास में सुधार,लैंगिक संबंधी चुनौतियां और भौतिक विज्ञान शिक्षा अनुसंधान से परिचय हैं। कार्यक्रम के सह-संयोजक प्रोफेसर अमोल दिघे ने बताया कि इसके साथ ही समस्या समाधान द्वारा विचार एवं अनुसंधान अवसरों पर कैरियर सलाह पर भी सत्र आयोजित किए जाएंगे। प्रतिभागी छात्राएं टीआईएफआर,कोलाबा में अनुसंधान प्रयोगशाला और पुणे के निकट विशाल मेट्रोवेव रेडियो टेलीस्कोप(जीएमआरटी) का दौरा भी करेंगी। उन्हें सफल महिला रोल मॉडल वैज्ञानिकों द्वारा शिक्षित,प्रेरित और परामर्श दिया जाएगा।

कार्यक्रम के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र सहित देश भर से प्राप्त 500 आवेदनो में से 40 छात्राओं का चयन शैक्षणिक रूपरेखा और अनुशंसा पत्रो के आधार पर किया गया। विज्ञान विदूषी कार्यशाला के भाग के रुप में छात्राएं विभिन्न अनुसंधान संस्थानों का दौरा भी करेंगी। महिला छात्राओं के लिए टीआईएफआर की शुरुआती वर्षो में इस अनूठी पहल का आगामी वर्षो में विस्तार किया जाएगा, जिससे अधिक छात्राएं इसका लाभ उठा सकें।

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