योगी सरकार का जीरो टॉलरेंस का दावा सोनभद्र में हुआ फेल

सोन नदी को रोक कर हो रहा रेत खनन

योगी सरकार का जीरो टॉलरेंस का दावा सोनभद्र में हुआ फेल

नई दिल्ली/सोनभद्र,21 दिसंबर 2022--भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है।सरकार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अंतर्गत आने वाले खनन विभाग की ही भूमिका संदेह के घेरे में है। अवैध खनन को लेकर मुख्यमंत्री ने पूर्व में ही कई बार सख्त रवैया दिखाने के साथ कई कड़े निर्देश दिए हैं, लेकिन उनके निर्देश यूपी के सबसे पिछड़े और दक्षिणी जिले सोनभद्र तक पहुँचते कमजोर पड़ते दिख रहे हैं।
 
अवैध खनन के लिए पहले से ही कुख्यात रहे आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र में अनियमित रेत  खनन ने सरकार की साख पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है।खासकर सोन जैसी देश की प्रमुख नदी के लिए अनियमित रेत खनन मुसीबत बन गया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के विपरीत यूपी के एकमात्र सोनभद्र जनपद से गुजर ने वाली सोन नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर धड़ल्ले से रेत खनन किया जा रहा है।

 अक्टूबर 2021 से ही सोनभद्र के जुगैल थाना अंतर्गत शुरू हुयी कई रेत खदानों में अनियमितता की शिकायत आने लगी थी। यहाँ की अगोरी खास और घटिहटा ग्राम पंचायतों में सोन नदी के तटों पर शुरू हुए रेत खनन से नदियों का तंत्र प्रभावित होने की संभावना है।
 
b 
 
सोन नदी की मुख्य धारा को प्रभावित करने से नदी की खाद्य-श्रृंखला नष्ट होने के साथ रेत के खनन में इस्तेमाल होने वाले सैंड-पंपों के कारण नदी की जैव-विविधता पर भी असर पड़ने की संभावना है।
 
अगोरी में जहाँ सोन नदी के तटवर्ती हिस्से में खनन लीज स्वीकृत हुआ है यहाँ एनजीटी के निर्देशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। हालत यह है कि यहाँ नदी की कुल चौड़ाई लगभग 850 मीटर के सापेक्ष लगभग 680 मीटर अंदर तक खनन के निशान तो अब गूगल मैप पर भी दिखने लगे हैं। वर्तमान हालत में तो खननकर्ता 80 फीसद हिस्से तक पहुँच गए हैं। जिस तरह यहाँ नदी के सभी हिस्सों का सीना चीर कर रेत उठायी जा रही है उससे जीरो टालरेंस का दावा हास्यास्पद स्थिति में है। रोजाना अनियमित हिस्से से ही सैकड़ों घनमीटर रेत उठाई जा रही है।

 घटिहटा ग्राम पंचायत के भगवा में तो खनन लीज की सीमा ही सवालों के घेरे में है। यहीं पर रेणु और विजुल नदियां सोन नदी में मिलती है। यहाँ भी खनन के लिए रेणु नदी की 100 मीटर से ज्यादा चौड़ी एक धारा को प्रभावित कर दिया गया है।   
 कैमूर पर्वत के तलहटी से गुजर ने वाली सोन नदी में पक्षियों का भी निरंतर प्रवास रहा है,नदी क्षेत्र में भोजन की उपलब्धता के आधार पर पक्षी अपना प्रवास चुनते हैं। कई पक्षी नदी के बीच बने टापुओं पर अंडे देते हैं। खनन से होने वाली उथल पुथल के कारण जीव-जंतुओं की इन प्रक्रियाओं में बाधा आती है और उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ता है। स्थानीय नागरिकों के मुताबिक यहां भी यही हो रहा है।
 
अवैध खनन पर वर्ष 2012 में दीपक कुमार व अन्य बनाम हरियाणा सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नज़ीर माना जाता है। इस महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वर्षों से हो रहे खनन से जलीय जीवों के अस्तित्व पर संकट आ गया है। बे लगाम रेत खनन से भारत की नदियां और नदियों का पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।खनन से जलीय जीव संकट में आ गए जबकि मल्लाह, मछुआरे रोजगार बदलने पर मजबूर हो गए हैं ।

सोनभद्र के प्राचीन धार्मिक स्थलों के उत्थान में जुटी गुप्त काशी सेवा ट्रस्ट के संरक्षक रवि प्रकाश चौबे ने सोन नदी में हो रहे अनियमित खनन को संस्कृति पर हमला बताया है।
c 

एनजीटी द्वारा तय नियम के तहत खनन के लिए नदी के प्रवाह क्षेत्र में बदलाव नहीं किया जा सकता है।बहती धारा को किसी भी तरह से परिवर्तित नहीं किया जा सकता।धारा के बीच में बालू का खनन नहीं किया जा सकता है।तीन मीटर से ज्यादा या नदी भूजल स्तर से अधिक गहराई से बालू निकालने पर पाबंदी है।रात के वक्त खनन कार्य नहीं किया जा सकता है ।बहाव को बाधित करने पर खनन कराने वाली फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने सहित खनन पट्टे को निरस्त करने के साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है । लेकिन सोनभद्र में ये सभी नियम हाशिये पर हैं। 
 

तटवर्ती ग्रामीण बताते हैं कि नदी में अब नाव नहीं लगती है ।हम यहां कभी लौकी, करेला, कद्दू, ककड़ी, खीरा,नेनुआ जैसी बेल वाली सब्जियां उगाते थे। हमारे पूर्वज यही काम करते आए थे। तब नदी हम सबकी हुआ करती थी।अब यह सिर्फ खनन वालों की बनकर रह गयी है”। 

 

Related Posts

Latest News

रिकॉर्ड समय में चालू की गई अनपरा की 500 मेगावाट की छठवीं इकाई रिकॉर्ड समय में चालू की गई अनपरा की 500 मेगावाट की छठवीं इकाई
सोनभद्र-अनपरा बिजलीघर की पांच सौ मेगावाट क्षमता की जनरेटर में तकनीकी खराबी आने से बीते 10 नवंबर को बंद हुई...
वितरण सुधारों को प्रोत्साहित करने के नाम पर निजीकरण स्वीकार्य नहीं है
अनुभवी और योग्य अभियंता भय के वातावरण में कार्य करने में असमर्थ
मंत्री समूह गठन के बाद उप्र में बिजली के निजीकरण का निर्णय लिया जाय वापस
प्रयागराज में दो फरवरी तक कोई आंदोलन नहीं होगा
महाकुंभ 2025: प्रयागराज में बिजली कर्मियों ने बनाया नया इतिहास!
खुर्जा सुपर ताप विद्युत संयंत्र की पहली इकाई का वाणिज्यिक संचालन शुरू
निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने शक्तिभवन घेरा
आईआरईडीए कार्यालय का दौरा कर एमएनआरई सचिव ने की समीक्षा
बिजली के निजीकरण के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान