बंदरगाह प्राधिकरण के शत प्रतिशत मालिकाना हक वाला पहला बंदरगाह बना जेएनपीसीटी

जेएनपीसीटी की क्षमता 1.5 मिलियन टीईयू से बढ़कर 1.8 मिलियन टीईयू हो जायेगी

बंदरगाह प्राधिकरण के शत प्रतिशत मालिकाना हक वाला पहला बंदरगाह बना जेएनपीसीटी

भारतीय बंदरगाहों में निवेश की निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) प्रणाली ने पिछले 25 वर्षों के दौरान उल्लेखनीय प्रगति की है। इसकी शुरूआत जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपी) से की गई। परिणामस्वरूप क्षमता और उत्पादकता में बढ़ोतरी व सुधार हुआ। पीपीपी प्रणाली के तहत रियायत देने वाले प्राधिकार और रियायत पाने वाले के बीच पहला समझौता सफल रहा, जिसने इस वर्ष जुलाई में 25 वर्ष पूरे कर लिये। प्रमुख बंदरगाहों के मद्देनजर पीपीपी परियोजनाओं के विकास पर इस समझौते का जबरदस्त असर देखा गया। अब जेएनपी देश का ऐसा पहला बंदरगाह बन गया है, जहां सभी गोदियों का संचालन पीपीपी प्रणाली से हो रहा है और बंदरगाह की अवसंरचना पर प्राधिकरण का शत प्रतिशत मालिकाना हक रहेगा तथा उसी के नियमों का पालन होगा।

जेएनपी देश का अग्रणी कंटेनर बंदरगाह है तथा विश्व के 100 बंदरगाहों में 26वें नंबर पर आता है, जैसा कि लॉयड लिस्ट टॉप 100 पोर्ट्स 2021 रिपोर्ट में दर्ज है। इस समय, जेएनपी में पांच कंटेनर टर्मिनल काम कर रहे हैं, जिसमें से केवल एक बंदरगाह के स्वामित्व में है। अपनी शानदार सुविधाओं की बदौलत जेएनपी अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरता है, वहां का माहौल उपयोग करने वालों के अनुकूल है तथा दूर-दराज के इलाकों से वह रेल व सड़क के माध्यम से जुड़ा है। सीएफएस, आईसीटी के साथ कनेक्टिविटी, सम्पूर्ण कस्टम हाउस, हवाई अड्डा, होटल, मुम्बई, पुणे, नासिक से निकटता तथा औद्योगिक पट्टी के कारण यह अनोखा कंटेनर टर्मिनल बन जाता है।

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जवाहरलाल नेहरू पोर्ट कंटेनर टर्मिनल (जेएनपीसीटी) के पास दो गोदियां हैं, जिनकी लंबाई 680 मीटर और तली 15 मीटर है। इन गोदियों को इस पीपीपी संविदा के तहत सौंप दिया जायेगा। इसके तहत 54.74 सहायक रकबा भी शामिल है। यह संविदा 30 वर्ष के लिये है। जेएनपीसीटी इस समय 9000 टीईयू क्षमता वाले जहाजों की संभाल करता है। उसकी क्षमता में इजाफा करने के बाद अब वह 12200 टीईयू क्षमता वाले जहाजों की संभाल कर सकता है। यह भी प्रस्ताव किया गया है कि पटरी पर जलने वाली जहाजी क्रेन (आरएमक्यूसी) की चौड़ाई 20 मीटर से बढ़ाकर 30.5 मीटर कर दी जाये। इस परियोजना के लिये निवेश रियायत प्राप्तकर्ता करेगा, जिसकी लागत 872 करोड़ रुपये होगी। रियायत देने वाला प्राधिकार इस टर्मिनल का उन्नयन, संचालन, रख-रखाव करेगा तथा पीपीपी आधार पर इसे स्थानांतरित कर देगा। इस परियोजना को दो चरणों में क्रियान्वित किया जायेगा।

  • पहले चरण में, 400 मीटर लंबी गोदी का उन्नयन करके उसे 12,200 टीईयू क्षमता वाले जहाजों (15 मीटर तली और 56.4 ऊंचे मस्तूल वाले 370 एलओए जहाज) की संभाल करने लायक बनाया जायेगा। जेएनपीए ने लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) जेएम बख्शी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स लि. तथा सीएमए टर्मिनल को 28 जून, 2022 को प्रदान किया है। रियायत सम्बंधी समझौते पर 27 जुलाई, 2022 को हस्ताक्षर किये जायेंगे। सभी शर्तों को 180 दिनों में पूरा करने के बाद रियायत प्रदान कर दी जायेगी। प्रथम चरण की अवधि रियायत समझौता मिलने की तारीख से 18 महीने तक की होगी। पहले चरण की लागत 591.99 करोड़ रुपये है।
  • दूसरे चरण में 280 मीटर लंबाई वाली गोदी को उन्नत किया जायेगा, ताकि वह 12,200 टीईयू क्षमता वाले जहाजों की संभाल कर सके। दूसरे चरण का विकास 1.02 मिलियन टीईयू प्राप्त करने या सात वर्षों में, जो भी पहले हो, उस दौरान चालू होगा। दूसरे चरण को 18 महीने की अवधि में पूरा करना होगा और उसकी लागत 280.17 करोड़ रुपये आयेगी। 

इस परियोजना का 11 निवेशकों ने भरपूर स्वागत किया। ये निवेशक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद हैं। संविदा प्राप्त करने के लिये संयुक्त उपक्रम के तौर पर जेएम बख्शी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स और सीएमए टर्मिलन्स ने रियायती अवधि के दौरान 4,520 रुपये प्रति टीईयू की रायल्टी कीमत देने का प्रस्ताव पेश किया। रायल्टी में थोक मूल्य सूचकांक में तेजी के आधार पर हर वर्ष बढ़ोतरी की जायेगी। नये प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम के तहत, टर्मिनल संचालक को यह छूट मिलेगी कि वह शुल्कों को बाजार भाव पर तय कर सके। एमजीसी को आशा है कि परिचालन के पहले वर्ष का चार लाख टीईयू दसवें वर्ष में बढ़कर नौ लाख टीईयू हो जायेगा तथा 30 वर्ष के समझौते के अंत तक इसी तरह बढ़ोतरी होती रहेगी।

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